नोएडा : Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक बार फिर फ्लैट रजिस्ट्री का मुद्दा उठने लगा है। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हाउसिंग सोसाइटी में लोगों ने नेताओं का विरोध करना शुरू कर दिया है। नोएडा में एक ऐसी हाउसिंग सोसायटी है, जहां ‘नो रजिस्ट्री, नो वोट’ का बैनर लगा दिया गया। लोगों का साफ कहना है कि विधायक और सांसद बनने के बाद लोग दोबारा अपना चेहरा नहीं दिखाते हैं, इसलिए हमने ‘नो रजिस्ट्री, नो वोट’ का बैनर लगा दिया है।
क्या उठ रही है मांग
यह मामला नोएडा की सेक्टर-46 स्थित गार्डेनिया गैलेरिया हाउसिंग सोसाइटी का है। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय वोट लेते वक्त नेता वादा करते हैं कि रजिस्ट्री करवा देंगे, लेकिन चुनाव होने के बाद सोसाइटी में झांकने तक नहीं आते हैं। हमें 5 साल तक बेवकूफ बनाया जाता है। बिल्डर द्वारा प्राधिकरण का बकाया पैसा नहीं दिया जाता। इसका भुगतान हम आम लोगों को करना पड़ता है। इसी वजह से हमारे फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो पाती।
सरकार ने उठाया यह कदम
वहीं, फ्लैट रजिस्ट्री की समस्याओं का समाधान कराने के लिए सरकार ने अमिताभ कांत कमेटी का गठन किया है। योगी सरकार लगातार फ्लैट रजिस्ट्री की समस्या का समाधान कराने में लगी हुई है, इसके बावजूद समस्या का हल ठीक प्रकार से नहीं हो पा रहा है। इस मुद्दे पर आम जनता का कहना है कि जब तक ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, नोएडा अथॉरिटी और यमुना अथॉरिटी अपना पैसा नहीं लेगी। तब तक उनका घर वाला सपना पूरा नहीं हो सकेगा।
क्या कहते हैं खरीदार
बायर्स का कहना है कि चुनाव से पहले नेता वोट लेने के लिए उनसे रजिस्ट्री करवाने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद वे सोसाइटी में झांकने तक नहीं आते हैं। वोट लेने के लिए हमें बेवकूफ बनाया जाता है। उनका कहना है कि जब तक ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, नोएडा अथॉरिटी और यमुना अथॉरिटी को अपना पैसा नहीं मिलेगा, तब तक उनका घर बनाने का सपना पूरा नहीं होगा।
कुछ ऐसा है पूरा विवाद
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 7 लाख से भी ज्यादा फ्लैट ऐसे हैं, जो बिल्डरों द्वारा निर्मित किए गए हैं यानि बिल्डर फ्लैट हैं। बिल्डर ने लाखों लोगों को ये फ्लैट बेचे और उन्हें उनके फ्लैट को लेकर सुरक्षा और सोसाइटी में सभी जरूरी सुविधाएं मुहया कराने का वादा किया था, लेकिन अब यह सभी वादे फ्लैट ऑनर्स को खोखले दिखाई दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि बिल्डर ने प्राधिकरण का पैसा नहीं चुकाया है, जिसके चलते फ्लैट ऑनर्स की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही हैं। उनके अनुसार ज्यादातर बिल्डर दिवालिया घोषित हो चुके हैं, तो वहीं कुछ पर सरकार ने शिकंजा कसा हुआ है और कुछ सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं।