Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिमी सिंहभूम जिला के मंझारी प्रखंड में प्रति मकान 50 रुपये की वसूली से जुड़े विवादास्पद आदेश पर उपायुक्त चंदन कुमार ने तत्काल संज्ञान लेते हुए पत्र को रद्द कर दिया है। इस निर्णय से आम जनता में फैली भ्रम और असंतोष की स्थिति पर विराम लग गया है।
जागरूकता अभियानों की आड़ में मांगे जा रहे थे पैसे
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंझारी के प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) द्वारा जारी पत्र में कहा गया था कि समाज कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, नशा मुक्ति, बाल विवाह और दहेज उन्मूलन अभियान के तहत हर मकान पर स्लोगन और नंबर प्लेट लगाए जाएंगे। इसके एवज में प्रत्येक मकान मालिक से स्वैच्छिक रूप से 50 रुपये लिए जाने का प्रावधान किया गया था। इसके बदले प्राप्ति रसीद देने की बात भी कही गई थी, जबकि सरकारी भवनों पर नंबर प्लेट नि:शुल्क लगाई जानी थी।
जनता में फैला भ्रम, राजनीतिक दलों ने उठाई आवाज
इस विवादित आदेश के बाद झामुमो और भाजपा के स्थानीय नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आदेश के खिलाफ जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने भी आक्रोश प्रकट किया। लोगों का कहना था कि सरकारी योजनाओं में इस प्रकार की धनराशि वसूली अनैतिक और भ्रष्टाचार का प्रतीक है।
तीन मई का पत्र रद्द, सभी प्रखंडों को भेजी गई सूचना
उपायुक्त कार्यालय (समाज कल्याण शाखा) को जैसे ही इस मामले की जानकारी मिली, तीन मई 2025 को जारी पत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया।जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा ने शुक्रवार को एक आधिकारिक पत्र जारी कर इस निर्णय की सूचना दी और सभी बीडीओ एवं सीडीपीओ को निर्देशित किया कि वे इस संबंध में कोई राशि न लें।
उपायुक्त की तत्परता से प्रशासन की साख बची
उपायुक्त चंदन कुमार की त्वरित कार्रवाई से न केवल आम लोगों में राहत की भावना आई है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर लोगों का विश्वास भी मजबूत हुआ है। यह मामला उदाहरण है कि जनहित के मामलों में प्रशासन अगर संवेदनशीलता से कार्य करे तो विवादों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।