रांची : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को रांची में एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य सरकार से किसानों के हित में धान खरीद पर किए गए वादे को निभाने की मांग की। मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार ने चुनाव के दौरान किसानों से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा किया था, लेकिन अब सरकार अपने वादे से पीछे हट गई है।
धान 3 हजार 200 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने की मांग
बाबूलाल मरांडी ने कहा, “राज्य सरकार को अपनी घोषणा के अनुसार 3,200 रुपये प्रति क्विंटल पर धान खरीदने का काम करना चाहिए, कटौती बंद करनी चाहिए और किसानों को इंसाफ देना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने 2,300 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने और 100 रुपये बोनस देने की योजना बनाई है, जो किसानों के साथ अन्याय है। उन्होंने इस स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में 60 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक पूरी तरह से धान क्रय केंद्र भी नहीं खोले गए हैं।
अधिकारी और बिचौलियों की गतिविधियाँ
मरांडी ने यह आरोप भी लगाया कि अफसरशाही इतनी हावी हो गई है कि वित्त मंत्री अपने क्षेत्र में धान क्रय केंद्र का उद्घाटन किए बिना ही बैरंग लौटने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में कई केंद्र खुले भी हैं, लेकिन वहां पर ताले लटके मिल रहे हैं। मरांडी के मुताबिक, राज्य सरकार का 15 फीसदी धान भी अब तक नहीं खरीदा जा सका है और गीला धान बताकर प्रति क्विंटल 10-15 किलो की कटौती की जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया को राज्य सरकार ने इतना जटिल बना दिया है कि किसान दलालों और बिचौलियों के चंगुल में फंसने को मजबूर हो रहे हैं, और अपनी उपज को कम कीमत पर बेचने के लिए विवश हो रहे हैं।
अन्य राज्यों से आए बिचौलिए
मरांडी ने कहा कि बंगाल, ओडिशा, और छत्तीसगढ़ के बिचौलिए अब बाइक से गांव-गांव जाकर धान खरीद रहे हैं। वे किसानों से कम कीमत पर धान लेकर ट्रकों में भरकर बाहर भेज रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह किसानों को आत्मनिर्भर बनाए, लेकिन वह उन्हें निराश कर रही है।
झारखंड के किसानों की स्थिति
मरांडी ने यह भी कहा कि झारखंड के किसान खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हैं। राज्य में केवल धान की ही फसल है, जिसे किसान एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर बेचकर कुछ रुपये कमाते हैं। लेकिन अन्य कृषि उत्पादों जैसे दलहन आदि का उत्पादन यहां बड़े पैमाने पर नहीं होता, जिससे किसानों को और अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता है। उन्होंने भाजपा शासित प्रदेशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां राज्य सरकारें अपनी घोषित दरों पर धान की खरीद कर रही हैं, जबकि हेमंत सरकार किसानों के साथ धोखा दे रही है।
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