चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय स्थित सभागार में शनिवार को एकीकृत बाल संरक्षण योजना, बाल कल्याण, बाल सुधार गृह, बाल तस्करी और बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को लेकर समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त चंदन कुमार ने की। इस दौरान चक्रधरपुर अनुमंडल पदाधिकारी श्रुति राजलक्ष्मी, सदर चाईबासा एसडीओ संदीप अनुराग टोपनो, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्वेता भारती, सहायक निदेशक (सामाजिक सुरक्षा कोषांग) खुशेन्द्र सोनकेसरी, श्रम अधीक्षक अविनाश ठाकुर, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पुनीता तिवारी समेत विभिन्न विभागों और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
उपायुक्त ने बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुपालन प्रतिवेदन का बिंदुवार अवलोकन किया। साथ ही मिशन वात्सल्य-बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत स्पॉन्सरशिप और फोस्टर केयर (पालन-पोषण देखभाल योजना) की प्रगति की समीक्षा की गई। उपायुक्त चंदन कुमार ने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार के संयुक्त तत्वावधान में संचालित इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य गरीब और जोखिमग्रस्त तबके के बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत लाभुकों को 4000 प्रति माह की वित्तीय सहायता दी जाती है। उन्होंने बाल संरक्षण कार्यालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिले में कठिन परिस्थिति में रहने वाले परिवारों के बच्चों को चिन्हित कर उन्हें योजना का लाभ दिया जाए, ताकि वे बाल श्रम, तस्करी और पलायन जैसी परिस्थितियों से सुरक्षित रह सकें। साथ ही उन्होंने आगामी दो माह में कम से कम 1000 बच्चों को इन योजनाओं से जोड़ने का लक्ष्य तय किया।
फोस्टर केयर योजना के संदर्भ में उपायुक्त ने कहा कि परिवार आधारित पालन-पोषण को बढ़ावा देने के लिए इच्छुक परिवारों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए सेविकाओं के माध्यम से गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जाए। उन्होंने जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को सभी अनुमंडल पदाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर ग्रामीण परिवारों के आय प्रमाण पत्र निर्गमन की प्रक्रिया तेज करने का निर्देश दिया। बैठक में बताया गया कि मिशन वात्सल्य योजना के तहत अब तक स्पॉन्सरशिप कार्यक्रम में 370 बच्चे और फोस्टर केयर योजना में 15 बच्चे जोड़े जा चुके हैं।
उपायुक्त ने इन बच्चों की नियमित निगरानी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया ताकि वित्तीय लाभ का अधिकतम फायदा सीधे बच्चों तक पहुंचे।इस दौरान बाल देखरेख संस्थानों से संबंधित प्रतिवेदन की भी समीक्षा की गई। जिले में बाल कुंज में 79 बच्चे, ऑब्जर्वेशन होम में 44 बच्चे और छाया बालिका गृह में 44 बालिकाएं रह रही हैं। उपायुक्त ने संबंधित पदाधिकारियों को इन संस्थानों को बेहतर और सुव्यवस्थित बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा श्रम विभाग द्वारा ईंट भट्टों पर कार्यरत मजदूरों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर भी चर्चा हुई। उपायुक्त ने ऐसे सभी बच्चों को नजदीकी विद्यालय या आंगनबाड़ी केंद्रों से जोड़ने के निर्देश दिए, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए।
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