आजमगढ़ : साइबर क्राइम के खिलाफ पुलिस ने एक बड़ा कदम उठाया है। एक अंतरराष्ट्रीय संगठित गैंग का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने 190 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गैंग ऑनलाइन गेम्स के जरिए लोगों को चूना लगाता था और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके अपने शिकार को फंसाता था।
क्या था ठगी का तरीका
पुलिस के अनुसार, यह गैंग ऑनलाइन एप्स जैसे “रेड्डी अन्ना”, “लोटस”, और “महादेव” के माध्यम से ठगी करता था। गैंग के सदस्य सोशल मीडिया पर आकर्षक विज्ञापन डालते थे, जिसमें दोगुने या तिगुने पैसे का लालच दिया जाता था। लोगों को उनके लॉगिन आईडी बनाने के लिए बहलाया जाता और फिर उन आईडीज का उपयोग कर ऑनलाइन गेम्स में पैसा लगाया जाता था। इसके बाद पीड़ितों के खातों से पैसे निकालकर उन फर्जी खातों में ट्रांसफर कर दिए जाते थे। ठगी के शिकार हो चुके लोग जब मदद के लिए संपर्क करते, तो उनकी आईडी ब्लॉक कर दी जाती, जिससे वे किसी भी तरह से पैसे वापस नहीं पा पाते थे।
साइबर क्राइम के खिलाफ पुलिस की सख्ती
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने बताया कि साइबर क्राइम के खिलाफ पुलिस का अभियान लगातार जारी रहेगा और ठगी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे साइबर ठगी के मामलों में सतर्क रहें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का शिकार न हों। इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि साइबर अपराधियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा, और उन्हें कानून के तहत कड़ी सजा दिलवाई जाएगी।
इतना बड़ा था जालसाजी का नेटवर्क
इस ठगी के मामले में पुलिस ने कुल 169 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया, जिसमें करीब 2 करोड़ रुपये जमा थे। इसके अलावा 13.40 लाख रुपये की नगद रकम, 51 मोबाइल फोन, 6 लैपटॉप, 61 एटीएम कार्ड, 56 बैंक पासबुक, 19 सिम कार्ड, 7 चेकबुक, 3 आधार कार्ड और एक जियो फाइबर राउटर भी जब्त किया गया है। इस गैंग के पास से बरामद सामग्री से साफ पता चलता है कि यह एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय जाल था, जिसमें श्रीलंका और यूएई तक के सदस्य शामिल थे।
गिरफ्तारी की पूरी जानकारी
पुलिस ने इस गैंग के खिलाफ 25 नवंबर को बड़ा ऑपरेशन चलाया और नगर कोतवाली के रैदोपुर क्षेत्र स्थित स्मार्ट मॉल के पास एक मकान में छापेमारी कर 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इस अभियान को आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना के नेतृत्व में संचालित किया गया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि यह गैंग भारतीय राज्यों के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पकड़ बनाए हुए था। इस गैंग ने 70 साइबर ठगी के मामलों को अंजाम दिया था, जो देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज हैं।
कस्टमर के लिए सोशल मीडिया पर करते थे तलाश
गैंग के सदस्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, मेटा और टेलीग्राम पर सक्रिय रहते थे। वे इन माध्यमों का उपयोग करके संभावित शिकारों को आकर्षित करते थे। इन सोशल मीडिया ग्रुप्स और विज्ञापनों के जरिए लोग उनकी धोखाधड़ी का शिकार होते थे। गैंग ने अपनी ठगी की पूरी प्रक्रिया को बेहद सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया था, ताकि उन्हें आसानी से पकड़ा न जा सके।
गिरफ्तार आरोपी और उनके राज
गिरफ्तार आरोपी उत्तर प्रदेश से 6, बिहार से 2, ओडिशा से 2 और मध्य प्रदेश से 1 आरोपी शामिल हैं। इन आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि वे आजमगढ़ में दो अलग-अलग यूनिट चला रहे थे, जिनमें कुल 13 सदस्य सक्रिय थे। ये लोग प्रतिबंधित एप्स का इस्तेमाल कर ठगी करते थे, और वॉट्सएप ग्रुप के जरिए पीड़ितों से संपर्क करते थे। वे अर्जित धनराशि को फर्जी खातों में ट्रांसफर करते थे और फिर इसे अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ बांटते थे।
ऐसे बचें ऐसे ठगों से
पुलिस ने लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है। किसी भी ऑनलाइन गेम या एप से जुड़ी आकर्षक योजनाओं में पैसे निवेश करने से पहले पूरी जानकारी लेना आवश्यक है। इस तरह के एप और गेम्स के जरिए कई लोग अपनी मेहनत की कमाई गवा चुके हैं। अगर कोई भी ऐसा विज्ञापन देखने को मिले, जो ज्यादा पैसे का वादा करता हो, तो उसे तुरंत रिपोर्ट करें और सावधानी बरतें।
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