स्पेशल डेस्क, नई दिल्ली : राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। राजस्थान का बाजीगर कौन होगा? यह तो चुनावी परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा,लेकिन अलग-अलग पार्टियों ने अपने-अपने हिसाब से चुनावी समीकरण बनाना शुरू कर दिया है। पार्टियां जातीय समीकरण से लेकर अलग-अलग मुद्दों पर एक-एक सीट को साधने का प्रयास कर रही हैं। इसी कड़ी में राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी से जुड़ा बड़ा अपडेट सामने आया है। इस बार पार्टी राजस्थान की राजनीति में पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन के मिथक को तोड़ना चाहती है। इसके लिए पार्टी उन सभी लोगों पर दाव लगाना चाहती है जो चुनावी मैदान करिश्मा कर सकते हैं। अपनी छवि से राज्य के युवाओं पर सकारात्मक असर डाल सकते हैं। युवाओं को अधिक से अधिक लुभा सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी का पूरा समीकरण समझिये
दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान चुनाव को लेकर बैठक की है। इसमें जीत के संभावित फार्मूले पर विचार किया गया। स्थानीय नेताओं से पूछा गया कि पार्टी की दोबारा जीत कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। पार्टी से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की माने तो बैठक में सभी नेताओं ने एक स्वर में दो बातें कहींं। पहला कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एक होकर चुनाव लड़ें। दूसरा यह कि पार्टी किसे टिकट देगी, यह नामांकन के दो दिन पहले नहीं बल्कि दो माह पहले घोषित कर किया जाये।
माना जा रहा है कि पार्टी के आलाकमान ने इन सुझावों को गंभीरता से लिया है। बदली रणनीति के तहत सचिन पायलट राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ मंच साझा कर रहे हैं। इसके साथ ही खुले तौर पर एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। अब पार्टी दूसरे सुझावों पर भी अमल करने की तैयारी में है। उम्मीद है कि अगस्त के अंतिम सप्ताह से राजस्थान विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के नाम चरणबद्ध तरीके से जारी कर दिये जायें।
बड़ा सवाल- सचिन पायलट का क्या होगा?
पूरे जोड़तोड़ के बीच मौजूदा समय का सबसे बड़ा सवाल यह है कि सचिन पायलट का क्या होगा। राजनीति के जानकार बताते हैं कि राजस्थान की राजनीति में जाट व गुर्जर समुदाय का दबदबा रहा है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसरा जाट समुदाय से आते हैं। डोटासरा सातवें जाट हैं, तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं। डोटासरा से पहले कांग्रेस में नाथूराम मिर्धा, आरएन चौधरी, परसराम मदेरणा, नारायण सिंह हरलाल और चंद्रभान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। कांग्रेस गोविंद सिंह डोटसरा को चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का जोखिम मोल नहीं लेगी।
राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ राजेंद्र भारती के अनुसार कांग्रेस राजस्थान में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वह सचिन पायलट के युवा चेहरे के साथ उनके गुर्जर जाति के वोटरों को भी नाराज नहीं करेगी। जाट जाति के वोटरों को साधने के लिए गोविंद सिंह डोटासरा को भी प्रमुख चेहरे के तौर पर उभारेगी। जबकि अशोक गहलोत के अनुभव, संगठनात्मक पकड़, विधायकों के बीच पैठ का भी लाभ कांग्रेस लेना चाहेगी। यही कारण है कि सचिन पायलट को भले चुनाव के बाद कोई बड़ा पद दे दें लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिलने की संभावना काफी कम है।
झारखंड से राजस्थान शिफ्ट कर सकते हैं प्रो. गौरव वल्लभ, मिल सकता है टिकट
कांग्रेस राजस्थान की राजनीति में एक बड़े बदलाव के मूड में है। पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव में युवा चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इसी कदम के तहत मीडिया में पार्टी की कमान संभालने वाले एक्सएलआरआइ के प्रोफेसर डॉ गौरव वल्लभ को झारखंड से राजस्थान शिफ्ट किया जा सकता है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी उदयपुर क्षेत्र के किसी सीट से अपने तेजतर्रार राष्ट्रीय प्रवक्ता को चुनावी मैदान में उतार सकती है।
यही वजह है कि प्रोफेसर गौरव वल्लभ की गतिविधियां उदयपुर क्षेत्र में पिछले कुछ माह से तेज हो गयी हैं। इससे पहले कांग्रेस ने प्रो. गौरव वल्लभ को वर्ष 2019 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा था। हालांकि गौरव वल्लभ चुनाव नहीं जीत सके लेकिन राष्ट्रीय मीडिया की निगाहें इस सीट पर लग गयी थीं। पार्टी को चर्चा में आने का फायदा झारखंड के विधानसभा चुनाव में मिला। एक तरह से कहें तो प्रो. गौरव वल्लभ की झारखंड में मौजूदगी से पार्टी को चुनावी माहौल बनाने में फायदा मिला। प्रो. गौरव वल्लभ मूलरूप से राजस्थान जोधपुर के रहने वाले हैं। वह ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। झारखंड बतौर प्रोफेसर उनकी कर्मस्थली रही है।

