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गोमंतक की पावन भूमि में गूंजेगा सनातन राष्ट्र का शंखनाद, वैश्विक असंतुलन की पृष्ठभूमि में भारत की दिशादर्शक सनातन मूल्य परंपरा

युद्ध, तनाव और नैतिक पतन के भंवर में फंसी दुनिया के लिए सनातन धर्म ही स्थायी समाधान है। जब बड़े देश भारत की ओर आशा से देख रहे हैं, तो यदि भारत भी धर्म आधारित राष्ट्र निर्माण की दिशा अपनाता है, तो वह पूरे मानव जाति के लिए नई चेतना का दीपस्तंभ बनेगा।

by Anurag Ranjan
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गोवा : सनातन संस्था के प्रवक्ता चेतन राजहंस ने कहा कि आज दुनिया एक निर्णायक मोड़ पर खडी है। यूक्रेन-रशिया, इजरायल-गाजा, चीन-ताइवान युद्ध और भारत-पाकिस्तान के बीच बढता तनाव तीसरे विश्व युद्ध के संकट को और गहरा कर रहा है। प्रसिद्ध फ्रांसीसी भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणियों में लगभग वर्ष 2025 के आसपास एक विनाशकारी वैश्विक युद्ध का उल्लेख किया है।

कश्मीर में हो रहे हमले, सीमा पर झडपें और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का जाल, यह बताना कठिन है कि देश पर महायुद्ध की बिजली कब गिरेगी। इसके अतिरिक्त दुनिया भर में भूकंप, तूफान, ज्वालामुखी और जलवायु में लगातार हो रहे परिवर्तन जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी मानव जीवन को कठिन बना रहे हैं। हर कोई इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि चारों ओर छायी अस्थिरता कब समाप्त होगी और कब शांति से जीवनयापन करना संभव हो पाएगा।

दुनिया भारत की ओर आशा से देख रही है

नास्त्रेदमस ने स्पष्ट रूप से कहा है, “तीसरे विश्व युद्ध के बाद, एक आध्यात्मिक राष्ट्र दुनिया का नेतृत्व करेगा”। उनके साथ ही कई अन्य संत, द्रष्टा, भविष्यवक्ता, राजनीतिक विश्लेषक और आधुनिक विचारक भी विभिन्न प्रकार से तीसरे विश्व युद्ध की संभावना व्यक्त कर चुके हैं। विभिन्न देशों में चल रहे संघर्ष इस महायुद्ध का आरंभ है। कोई नहीं बता सकता कि इसकी लपटें कब भडकेंगी। हालांकि, यह निश्चित है कि सभी देश भारत की ओर आशा से देख रहे हैं। यूक्रेन और रूस युद्ध में भी अनेकों ने भारत को मध्यस्थता करने का सुझाव दिया था। भारत स्वयं आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार और अनैतिकता जैसी कई समस्याओं से ग्रस्त होने पर भी अन्य देशों को समर्थन और मध्यस्थता के लिए एक विकल्प क्यों लगता है? इसका उत्तर है भारत को प्राप्त धार्मिक अधिष्ठान!

सनातन मूल्य ही मानवता की रक्षा कर सकते हैं

युद्ध, तनाव और नैतिक पतन के भंवर में फंसी दुनिया के लिए सनातन धर्म ही स्थायी समाधान है। जब बड़े देश भारत की ओर आशा से देख रहे हैं, तो यदि भारत भी धर्म आधारित राष्ट्र निर्माण की दिशा अपनाता है, तो वह पूरे मानव जाति के लिए नई चेतना का दीपस्तंभ बनेगा। संकेत यही बता रहे हैं कि उस परिवर्तन का समय अब आ गया है। जहां कई तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ढह रहे हैं, वहीं भारत उठ रहा है। यह तो स्पष्ट है कि देश का वैश्विक स्तर पर प्रभाव न केवल विकास के कारण बन रहा है, अपितु इसमें नैतिक मूल्यों के जुडने के कारण भी है। आज हम सभी देखते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो खुले तौर पर अपने धर्म को मानते हैं, नवरात्रि में उपवास करते हैं और महाकुंभ मेले में अमृत स्नान करते हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावशाली नेता हैं।

कई दूरदर्शी संतों ने कहा है कि अपने सनातन नैतिक मूल्यों, संस्कृति और धर्म के आधार पर ही भारत नए युग का मार्गदर्शक बनेगा। दुनिया भर में अस्थिरता फैली हुई है, ऐसे समय में केवल सनातन मूल्य ही मानवता की रक्षा कर सकते हैं। जब यह राष्ट्र कांग्रेस द्वारा थोपी गई धर्मनिरपेक्षता की बेड़ियों को तोड़कर एक सनातन धर्मी हिंदू राष्ट्र के रूप में फिर से उभरेगा, तभी भारत सही अर्थ में विश्वगुरु के पद पर विराजमान होगा।’

‘सनातन राष्ट्र’ – वर्तमान वैश्विक अस्थिरता का एकमात्र वैदिक उत्तर!

वह दिन अब दूर नहीं है, क्योंकि गोमंतक की पावन भूमि में सनातन राष्ट्र का शंखनाद गूंजेगा! सनातन संस्था के संस्थापक, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी, धर्म के आधार पर राष्ट्र के पुनरुत्थान के लिए तीन दशकों से अधिक समय से कार्यरत हैं। “धर्म राष्ट्र का जीवन है” यह उनका वचन है। इसके लिए, धर्माचरण करने वाली प्रजा बनाने के लिए उनके मार्गदर्शन में हजारों साधक साधना कर रहे हैं। सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकल्पित सनातन राष्ट्र का शंखनाद कई संत-महंतों और नेताओं की उपस्थिति में होगा। 17 से 19 मई 2025 तक गोवा के फोंडा में ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ आयोजित किया जा रहा है। यह महोत्सव एक नए युग, एक धर्म आधारित राष्ट्र निर्माण और एक आध्यात्मिक क्रांति का शंखनाद है। इस महोत्सव में शिक्षा, अर्थव्यवस्था, राजनीति विज्ञान और न्याय प्रणाली जैसे सभी पहलुओं में धर्म आधारित दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए, इस पर मार्गदर्शन मिलेगा।

आज दुनिया के दरवाजे पर जो संकट खड़ा है, उसका उत्तर नए युद्ध नहीं, बल्कि नए मूल्य हैं। हमारे ऋषियों ने प्रार्थना की है, “सर्वे भवन्तु सुखिनः…” इसी आदर्श वाक्य के साथ खडा हुआ सनातन राष्ट्र दुनिया को शांति, न्याय, संतुलन और सत्वगुण प्रदान करने वाला उत्तर है । भारत ही धर्म की शक्ति पर खडा होकर संकटग्रस्त दुनिया को दिशा देगा।

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