Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिम सिंहभूम जिले के गंगदा पंचायत के दोदारी और आसपास के गांवों में इन दिनों पानी की भारी किल्लत हो गई है। जलापूर्ति संयंत्र में बिजली की कटौती के कारण ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में गहरा रोष व्याप्त है।
14 गांवों में ठप हुई जलापूर्ति
गंगदा पंचायत के दोदारी, काशिया, पेचा, कुम्बिया, चुर्गी, ममार, लेम्ब्रे, दईया, हिनुवा, सलाई, बाईहातु, बागालडीह समेत कुल 14 गांवों में 10 मई से जलापूर्ति पूरी तरह से ठप पड़ी है। इसका मुख्य कारण दोदारी स्थित जलापूर्ति संयंत्र (WTP) की बिजली का बकाया बिल न चुकाने के कारण काट दिया जाना है।
पानी के लिए भटक रहे ग्रामीण
जलापूर्ति ठप होने से गांवों की महिलाओं, बुजुर्गों और छोटे बच्चों को भीषण गर्मी में भी डेढ़ से दो किलोमीटर दूर जंगल और नदी-नालों से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। रविवार को गांव की एक बुजुर्ग महिला सुकरी देवी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि अब हमारी जैसी बूढ़ी औरतें पानी के लिए इतनी दूर कैसे जाएंगी। उन्होंने सरकार पर केवल कागजी योजनाएं बनाने और अधिकारियों पर कमीशनखोरी का आरोप लगाया।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी करोड़ों की योजना
ग्रामीण मंगल हांसदा और सोमरा मुंडा ने बताया कि लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह जलापूर्ति योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कई जलमीनारों तक तो पानी पहुंचा ही नहीं, और जहां कहीं पहुंचा भी, वहां नलों से लाल और बदबूदार पानी निकलता था, जो पीने योग्य नहीं था। गांव की युवती फूलो सोरेन ने बताया कि उन्हें रोजाना तीन से चार बार पानी भरने के लिए लंबा और थकाऊ सफर तय करना पड़ता है।
अधिकारियों और ठेकेदारों पर मिलीभगत का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलीभगत कर योजना का आधा से ज्यादा पैसा हजम कर लिया। इसका खामियाजा आज आम जनता भुगत रही है। उन्होंने प्रशासन की चुप्पी पर गहरी नाराजगी जताई है।
आंदोलन की चेतावनी
जल संकट से बेहाल ग्रामीणों ने अब आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे सलाई चौक पर मुख्य सड़क को जाम कर देंगे। इसके साथ ही, ग्रामीणों ने इस पूरी योजना की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषी अधिकारियों एवं ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। गंगदा पंचायत के जल संकट से जूझ रहे गांवों में अब आंदोलन की तैयारी जोर पकड़ रही है।