बोकारो : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने बोकारो के नया मोड़ स्थित बिरसा सेवा आश्रम में आयोजित प्रबुद्ध जन विमर्श कार्यक्रम में ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरण की गतिविधियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में विभिन्न ईसाई और मुस्लिम संगठनों के माध्यम से अवैध धर्मांतरण हो रहा है, जिससे समाज में असंतुलन उत्पन्न हो रहा है।
परांडे ने विशेष रूप से आदिवासी समाज का उल्लेख करते हुए कहा कि 18% मतांतरित लोग 82% मूल आदिवासी समाज का हक मार रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि धर्म परिवर्तन के बाद अनुसूचित जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता, जबकि अनुसूचित जनजातियों के मामले में यह नियम लागू नहीं है। इस संदर्भ में उन्होंने स्व. कार्तिक उरांव की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर अब नए सिरे से आंदोलन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पूतना नामक राक्षसी सुंदर स्त्री बन कर भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए उनके पास आई थी। इसीलिए श्रीकृष्ण को पूतना का वध करना पड़ा था। इसी तरह ईसाई मिशनरियां कर रही हैं। दवा व इलाज का लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। मिलिंद परांडे ने आदिवासी समाज से कहा कि वह होशियार रहें और ईसाई मिशनरियों की चाल में नहीं फसें। ईसाई मिशनरियां उनकी भाषा व संस्कृति छीनने पर तुली हुई हैं।
जनसंख्या असंतुलन पर परांडे ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण के कारण जनसंख्या असंतुलन बढ़ रहा है। उन्होंने हिंदू समाज से अपील की कि प्रत्येक हिंदू परिवार कम से कम दो बच्चे पैदा करे, ताकि संस्कृति की निरंतरता बनी रहे। इसके अलावा, उन्होंने हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की भी मांग की, ताकि मंदिरों की देखरेख समाज के हाथों में हो।
इन बयानों के माध्यम से मिलिंद परांडे ने समाज में धर्मांतरण, जनसंख्या असंतुलन और हिंदू संस्कृति की रक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है, जो वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में चर्चा का विषय बन गए हैं।