नई दिल्ली/जमशेदपुर: आठ दिनों से जारी ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष अब बेहद खतरनाक और चिंता बढ़ाने वाले मोड़ पर पहुंच गया है। इजरायल ने गुरुवार रात ईरान के प्रमुख परमाणु केंद्रों के आसपास बमबारी की, जिसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर क्लस्टर मिसाइल से हमला किया। इस युद्ध में आम नागरिकों पर हमले किए जा रहे हैं, जो अब चिंता का विषय बन गया है। इसराइल के गाजा पर चल रहे हमलों में अब तक 60 हजार से अधिक लोग मारे जा रहे हैं। इसराइल के ईरान पर हुए हमले में कई नागरिक मारे गए हैं। ईरान के हमलों में कई नागरिक मारे जा रहे हैं।
ईरान के हमले में आम नागरिकों के इलाके निशाने पर रहे, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंता की लहर दौड़ गई है।
युद्ध अब नागरिक इलाकों तक
अब तक सैन्य प्रतिष्ठानों तक सीमित यह युद्ध अब आम नागरिकों के जीवन को भी प्रभावित करने लगा है। इजरायल ने अराक, नतांज और खोंडब जैसे संवेदनशील परमाणु केंद्रों के पास बम गिराए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर परमाणु साइट पर तबाही मची तो इससे विकिरण फैलेगा और नागरिकों की जान जाएगी। इसके तुरंत बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल के मध्य क्षेत्रों में मिसाइलें दागीं।
क्लस्टर मिसाइल का उपयोग पहली बार
इजरायली रक्षा बल (IDF) ने बताया कि ईरान द्वारा छोड़ी गई एक मिसाइल में क्लस्टर बम लगाया गया था, जो हवा में 7 किलोमीटर की ऊंचाई पर फट गया। इसके बाद 8 किलोमीटर के दायरे में करीब 20 छोटे बम गिराए गए। यह पहली बार है जब इस संघर्ष में क्लस्टर म्युनिशन का उपयोग हुआ है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों द्वारा विवादास्पद माना गया है। गौरतलब है कि इजराइल गाजा पर हमले करने में इन क्लस्टर बमों का लगातार प्रयोग करता रहा है।
मध्य इजरायल में भारी नुकसान
इजरायली मीडिया और समाचार एजेंसी AP की रिपोर्ट के अनुसार, मिसाइलों के टुकड़े बीरशेबा समेत कई रिहायशी क्षेत्रों में गिरे। एक अस्पताल और दर्जनों रिहायशी इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा है। लोगों को बम शेल्टर में जाने की चेतावनी दी गई है।
ईरान का बयान – संवेदनशील सामग्री पहले से हटा ली गई
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) कमांडर मोहसिन रजेई ने कहा कि देश के सभी प्रमुख परमाणु केंद्रों से संवेदनशील सामग्री को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था। उन्होंने कहा कि ईरान ने अब तक अपनी केवल 30 प्रतिशत सैन्य क्षमता का प्रयोग किया है और युद्ध की गति धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी।
हिजबुल्लाह ने लिया खुला पक्ष
लेबनान स्थित शिया संगठन हिजबुल्लाह ने ईरान का खुलकर समर्थन किया है। संगठन के उपनेता शेख नईम कासिम ने इजरायल और अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और उस पर हो रहा विरोध उसकी स्वतंत्र विदेश नीति के कारण है। यमन भी ईरान के समर्थन में है। यमन के नेता अब्दुल मलिक ने कहा कि बयान जारी करते हुए कहा कि ईरान का शुरू से कहना है कि वह परमाणु बम नहीं बना रहा है। ईरानी सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई परमाणु बम बनाने के खिलाफ फतवा भी जारी कर चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र में फिर आपात बैठक
ईरान ने रूस, चीन और पाकिस्तान के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में फिर आपात बैठक बुलाने की मांग की है। इससे पहले हुई बैठक में किसी समाधान पर सहमति नहीं बन सकी थी।
मानवाधिकार संगठन का आरोप – भारी जनहानि
वॉशिंगटन स्थित एक ईरानी मानवाधिकार संगठन ने दावा किया है कि अब तक ईरान में 639 लोग मारे गए हैं, जिनमें से 263 आम नागरिक हैं। वहीं इजरायल में अब तक 24 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने की सूचना है।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट – परमाणु बम की तैयारी नहीं, लेकिन क्षमता मौजूद
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ईरान ने अभी तक परमाणु बम बनाने का कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन उसके पास पर्याप्त मात्रा में समृद्ध यूरेनियम मौजूद है जिससे परमाणु हथियार बनाया जा सकता है।
युद्ध बनता जा रहा है वैश्विक संकट
ईरान और इजरायल के बीच यह युद्ध अब केवल एक सीमित संघर्ष नहीं रहा, बल्कि यह एक बड़े क्षेत्रीय संकट में बदलता जा रहा है। क्लस्टर मिसाइल जैसे हथियारों का इस्तेमाल युद्ध को मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ एक खतरनाक मोड़ की ओर ले जा रहा है। अगर जल्द ही कोई राजनीतिक समाधान नहीं निकाला गया, तो यह युद्ध और भी अधिक विनाशकारी हो सकता है, जिसका असर झारखंड जैसे भारत के आंतरिक राज्यों की सुरक्षा और वैश्विक स्थिति पर भी पड़ सकता है।
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