चेन्नई : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 उपग्रह का इसरो के पीएसएलवी-सी59 रॉकेट द्वारा सफल प्रक्षेपण एक ऐतिहासिक मिशन है। यह मिशन सूर्य के कोरोना और सौर वायु के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने में सहायक होगा।
सूर्य के कोरोना के अध्ययन में मदद
इसरो मुख्यालय के ‘क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ के पूर्व निदेशक पी. वी. वेंकटकृष्णन ने कहा कि प्रोबा-3 मिशन सूर्य के कोरोना (सूर्य का बाहरी वायुमंडल) का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उनका मानना है कि इस मिशन से सूर्य की सतह से अधिक गर्म कोरोना के बारे में बेहतर जानकारी मिलेगी। इसके साथ ही सौर वायु की धारा, जो सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों की एक धारा होती है, के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।
नवोन्मेषी डिजाइन और उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग
वेंकटकृष्णन ने कहा कि इस मिशन में नवोन्मेषी डिजाइन और उन्नत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया गया है, जो भविष्य में अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान और सौर भौतिकी अनुसंधान में एक नया रास्ता खोलेंगे। उन्होंने बताया कि प्रोबा-3 मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और इसरो के समन्वित प्रयास का परिणाम है, और यह वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक बड़ा कदम है।
पीएसएलवी-सी59 रॉकेट से मिशन का सफल प्रक्षेपण
इसरो ने बृहस्पतिवार को पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। यह प्रक्षेपण अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, जिससे सूर्य और उसके प्रभावों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।