Home » पूर्वी सिंहभूम में ग्रामीण उद्यमिता को मिलेगी रफ्तार, मुसाबनी के गोहला पंचायत में 78 महिला उद्यमियों को मिले डिजिटल क्यूआर कोड

पूर्वी सिंहभूम में ग्रामीण उद्यमिता को मिलेगी रफ्तार, मुसाबनी के गोहला पंचायत में 78 महिला उद्यमियों को मिले डिजिटल क्यूआर कोड

खेती से लेकर प्रोसेसिंग और विपणन तक की संपूर्ण प्रक्रिया में महिला किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो इस पूरे उत्पादन तंत्र का कुशल प्रबंधन कर रही हैं।

by Reeta Rai Sagar
women empowerment
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Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन की पहल पर ग्रामीण उद्यमिता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी द्वारा गोहला पंचायत के किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) से जुड़ी 78 महिला उद्यमियों को गुरुवार को डिजिटल क्यूआर कोड प्रदान किए गए। एफपीओ की कुल 300 सदस्यों में से प्रथम चरण में इन 78 महिलाओं को यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है। क्यूआर कोड का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर उत्पादन की बिक्री प्रक्रिया को अधिक डिजिटल और सरल बनाना है, ताकि महिला उद्यमी सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकें और अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें।

गोहला पंचायत में लगभग 300 एकड़ क्षेत्र में व्यावसायिक खेती की जा रही है, जिसमें सब्जियों और दलहन की खेती प्रमुख है। यहां गोभी, शिमला मिर्च, बिंस, गाजर, मूली, मटर, अरहर, मूंग और अन्य मौसमी फसलों का उत्पादन होता है। खेती से लेकर प्रोसेसिंग और विपणन तक की संपूर्ण प्रक्रिया में महिला किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो इस पूरे उत्पादन तंत्र का कुशल प्रबंधन कर रही हैं।

गोहला पंचायत भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त ने महिला उद्यमियों के कार्यों की सराहना करते हुए संबंधित विभागों को एफपीओ क्षेत्र में दाल मिल स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दाल मिल की स्थापना से न केवल दलहन उत्पादन और वैल्यू एडिशन में वृद्धि होगी, बल्कि पैकिंग, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसके साथ ही 30 मीट्रिक टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज को ग्राम संगठन को हस्तांतरित करने की घोषणा की गई, ताकि बेहतर भंडारण सुविधा उपलब्ध कराकर कृषि उत्पादों के संरक्षण और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित की जा सके।

जिला प्रशासन की ओर से महिला किसानों को डिजिटल पेमेंट, ई-मार्केटिंग, ब्रांडिंग और पैकेजिंग, वित्तीय साक्षरता, उद्यम प्रबंधन तथा मूल्य संवर्धन संबंधी प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की रणनीति पर भी चर्चा हुई। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं और प्रशासन द्वारा हर संभव तकनीकी व बाजार आधारित सहयोग प्रदान किया जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल गांव के स्तर पर उद्यमिता विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी।

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