रांची: भारत सरकार मलेरिया उन्मूलन के लिए वर्ष 2027 तक का लक्ष्य लेकर चल रही है और इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं। इस दिशा में देश को कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता भी मिली है, लेकिन अब भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां मलेरिया की चुनौती बनी हुई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के तीन जिले अब भी मलेरिया के लिहाज से सबसे संवेदनशील बने हुए हैं। इन जिलों में Annual Parasite Index (API) 3 से अधिक है, जो चिंता का विषय है।
नेशनल स्ट्रैटेजिक प्लान 2023-2027 से मिला संकेत
स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीजेज कंट्रोल द्वारा तैयार किए गए ‘नेशनल स्ट्रैटेजिक प्लान: मलेरिया एलीमिनेशन 2023-2027’ के अनुसार झारखंड की स्थिति में पिछले वर्षों में सुधार जरूर हुआ है। वर्ष 2015 तक झारखंड को कैटेगरी-3 में रखा गया था, जिसका अर्थ है कि तब राज्य के अधिकांश जिलों में एपीआई 1 से अधिक थी। लेकिन वर्ष 2022 में राज्य कैटेगरी-2 में आ गया है, यानी अब राज्य में औसतन एपीआई 1 से कम हो गई है।
तीन जिले अब भी खतरे में
इसके बावजूद, रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि झारखंड के तीन जिले अब भी मलेरिया के लिहाज से हाई-रिस्क श्रेणी में आते हैं। इन जिलों में एपीआई अब भी 3 से अधिक है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इन इलाकों में संक्रमण की दर अन्य स्थानों की तुलना में कहीं अधिक है। हालांकि रिपोर्ट में इन जिलों के नाम स्पष्ट रूप से नहीं दिए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये जिले आदिवासी बहुल और घने जंगलों वाले क्षेत्रों में हैं, जहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं और मच्छर जनित बीमारियों का प्रभाव अधिक होता है।
देशभर में मलेरिया पर नियंत्रण के प्रयास
राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो वर्ष 2015 में देशभर के 110 जिलों में एपीआई 2 या उससे अधिक थी। यह संख्या वर्ष 2022 तक घटकर 18 रह गई है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। लेकिन इन 18 जिलों में झारखंड के तीन जिलों का होना यह संकेत देता है कि राज्य को अभी भी मलेरिया नियंत्रण के क्षेत्र में अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।
सरकार की ओर से जारी प्रयास
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर मलेरिया के खिलाफ जागरूकता अभियान, कीटनाशक छिड़काव, बिस्तरदानी (मच्छरदानी) वितरण, और जांच व इलाज की सुविधाएं बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही हैं। साथ ही जनजातीय इलाकों में विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि वहां रह रहे लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से पहुंच सकें।
हालांकि झारखंड ने मलेरिया नियंत्रण में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन जिन तीन जिलों में अब भी एपीआई 3 से अधिक है, वहां केंद्र और राज्य सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। मलेरिया उन्मूलन की दिशा में यह एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।