रांची/Jharkhand Silk: इस बार गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर झारखंड का तसर सिल्क दिखेगा। झांकी में तसर कीट का पालन, कोकून उत्पादन एवं संग्रहण में शामिल जनजातीय महिलाएं तथा तसर बुनाई, आधुनिक वस्त्र परिधान की प्रदर्शन है। तसर सिल्क (Jharkhand Silk) के आधुनिक परिधानों में सुसज्जित जीवंत माडल एवं देश-विदेशों को आपूर्ति प्रदर्शित रहेगी। झांकी के साथ-साथ राज्य का सांस्कृतिक दल झूमर नृत्य-संगीत के साथ चलेगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।
तसर सिल्क (Jharkhand Silk) को “कोसा” या “वन्य सिल्क” कहा जाता था
प्राचीन काल में तसर सिल्क को “कोसा” अथवा “वन्य सिल्क” कहा जाता था। अब यह “अंहिसा सिल्क के रूप में पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित कर रहा है। तसर (Jharkhand Silk) के लिए कोकून उत्पादन की नई तकनीक में तसर कीट को जिंदा निकलने दिया जा रहा हैं जबकि पारंपरिक मलवरी सिल्क के उत्पादन में कोकून को गर्म पानी में उबालने के कारण तसर कीट की मौत हो जाती थी। इस प्रकार से तसर सिल्क पृथ्वी की जैव विविधता के संरक्षण में सहायक साबित हो रही है। वहीं झारखंड राज्य की जनजातीय समुदायों की आजीविका का सशक्त माध्यम बन रही है।
तसर उत्पादन में अग्रणी है राज्य
राज्य में चारों ओर फैले विशाल वन क्षेत्र में तसर खाद्य पौधों की प्राकृतिक उपलब्धता और मौसम की अनुकूलता के कारण देश में आर्गेनिक तसर रेशम का प्रमुख तथा अग्रणी उत्पादक राज्य है। राज्य में उत्पादित तसर अपने प्राकृतिक रंग एवं चमक के कारण रेशमी परिधानों में अपनी अलग पहचान रखता है।
झारखंड राज्यों के जंगलों से प्राप्त तसर रेशम अपने कड़ापन, धागे की मजबूती, धागे की लंबाई सहित अपने प्राकृतिक गुणों के लिए औरों से अलग है। इसके साथ ही देश में उत्पादित तसर का 62 प्रतिशित हिस्सा झारखंड में उत्पादित हो रहा है।
झारखंड से उत्पादित तसर (Jharkhand Silk) को यूएस, यूके, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, स्वीडन एवं स्वीटजरलैंड आदि देशो में निर्यात किया जा रहा है। झारखंड के तसर को जीआई टैग दिलाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य के विभिन्न जनजातीय समूहों के तकरीबन एक लाख पचास हजार लोग तसर सिल्क से अपनी आजीविका चला रहे हैं। झारखंड राज्य में प्रति वर्ष औसतन करीब 20500 मीट्रिक टन तसर का उत्पादन होता है।
Jharkhand Silk : यह हमारे लिए गौरव की बात
तसर रेशम (Jharkhand Silk) की झांकी गणतंत्र दिवस के लिए चयनित होना तसर रेशम उद्योग के लिए गौरव की बात है। रांची ने इस महान उपलब्धि के लिए भारत के आदिवासी किसानों, बुनकरों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों और तसर उद्योग के सभी सहयोगियों का योगदान है। देश के लगभग 3.5 लाख लोग तसर उद्योग से जुड़े हैं जिसमें 2.2 लाख झारखंड से हैं।
डा. एनबी चौधरी, निदेशक केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, नगड़ी, रांची।
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