सेंट्रल डेस्क/Loksabha Vidhansabha Election : वर्ष 2029 में एक देश, एक चुनाव हो सकते हैं। जिसकी सिफारिश एक देश, एक चुनाव पर विचार के लिए बनाई गई कमेटी ने की है। साल 2014 में बीजेपी के घोषणापत्र में एक देश, एक चुनाव का भी वादा किया गया था। अब नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने इस वादे को पूरा करने की तैयारी तेज कर दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
Loksabha Vidhansabha Election : 1967 तक साथ होते थे विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव
तक भारत में राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ ही चुनाव होते थे। वर्ष 1952 में हुए पहले चुनाव, उसके बाद 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो चुके हैं। लेकिन ये सिलसिला तब टूटा जब 1968 में कुछ राज्यों की विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गई। इसके बाद वर्ष 1971 में लोकसभा चुनाव भी समय से पहले हो गए थे।
इन जटिलताओं का खोजना होगा समाधान
अब देखने की बात ये है की वर्ष 2029 में अगर एक देश, एक चुनाव करवाना है तो राज्यों की विधानसभाओं का क्या होगा और 2029 में लोकसभा चुनाव के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव करवाना कैसे मुमकिन होगा क्योंकि हर वर्ष किसी ना किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होते रहते हैं। यही सबसे बड़ा सवाल है और इस सवाल का जवाब भी कोविंद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दिया है।
एकसाथ चुनाव कराने में कम होगा चुनावी खर्च
एक साथ चुनाव कराने के समर्थन में सबसे बड़ा तर्क ये दिया जाता है कि इससे हर साल चुनावों पर होने वाले खर्च में कमी आएगी। जब पांच साल में एक बार ही चुनाव होंगे तो खर्च तो कम होगा ही और इससे सरकार को काफी बचत होगी। कोविंद कमेटी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर लोकसभा और विधानसभा दोनों के चुनाव एक साथ कराये जायें तो आर्थिक विकास दर में करीब डेढ़ फीसदी का इजाफा होने की संभावना है।
विरोध में दिए जा रहे ये तर्क
एकसाथ चुनाव कराने के विरोध का तर्क ये है कि इससे स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो जाएंगे। आमतौर पर विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं। लेकिन संभावना है कि जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में होंगे तो मतदाता स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय मुद्दों पर ही विधानसभा में भी वोटिंग करेंगे।
191 दिन में कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
इस कमेटी का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद की अध्यक्षता वाली कमेटी रिपोर्ट को तैयार करने में 191 दिन लगे। रिपोर्ट के लिए आम लोगों से लेकर तमाम एक्सपर्ट्स की राय ली गई है। अब लोगों को इंतजार है कि इस रिपोर्ट की सिफारिशों को किस तरह लागू किया जाएगा।
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