RANCHI: पशुपालन निदेशालय के सभागार में शनिवार को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें कम खर्च ज्यादा उत्पादन ज्यादा मुनाफा की अवधारणा को मजबूत करते हुए प्राकृतिक खेती के महत्व पर विस्तृत चर्चा हुई। कार्यक्रम को कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
4 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य
कृषि मंत्री ने बताया कि झारखंड में वर्तमान में 4 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से तैयार उत्पाद मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। यह समय है कि प्राकृतिक खेती को आंदोलन के रूप में अपनाया जाए। उन्होंने अधिकारियों को प्राकृतिक खेती की निगरानी बढ़ाने और वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया ताकि भविष्य की कार्ययोजना को बेहतर बनाया जा सके।
12 जिलों के किसान शामिल
कार्यशाला में राज्य के 12 जिलों के 88 क्लस्टर से आए कृषि सखी और किसान शामिल हुए। किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और प्राकृतिक खेती के सकारात्मक परिणामों पर चर्चा की। मंत्री ने घोषणा की कि प्राकृतिक खेती में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले क्लस्टर को 1 लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। आंध्र प्रदेश के पूर्व IAS अधिकारी एवं प्राकृतिक खेती विशेषज्ञ टी. विजय कुमार ने कहा कि प्राकृतिक खेती आधुनिक विज्ञान पर आधारित कृषि पद्धति है। उन्होंने बताया कि इसमें पानी जमीन में गहराई तक जाता है और किसान महीने में 15 से 25 हजार रुपए तक की अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने अगले 10 वर्षों में 80 लाख परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
इनकी रही मौजूदगी
कार्यक्रम में विशेष सचिव प्रदीप हजारी, उद्यान निदेशक माधवी मिश्रा, समिति निदेशक विकास कुमार, अमित कुमार सिंह, उपनिदेशक शशि भूषण अग्रवाल सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

