हेल्थ डेस्क: एक बार फिर चिकनपॉक्स ने दस्तक दे रखी है। बच्चों में इसका संक्रमण बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, चिकनपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। इसमें बच्चों के शरीर पर रैशेज पड़ जाते हैं। वैसे तो बच्चों को चिकनपॉक्स होना आम बात है लेकिन अगर उन्हें पहले ही इसका टीका लगवा दिया जाए तो इस बीमारी से बचाया जा सकता है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने चिकनपॉक्स के खतरनाक वेरिएंट के भारत में मिलने का दावा किया है। इस वेरिएंट का नाम क्लेड 9 (clad 9) है। इस वेरिएंट की पहचान मंकीपॉक्स से संभावित मरीज की जांच में हुई है। आइए पहले जानते हैं चिकनपॉक्स क्या है उसके बाद जानते हैं इस नए वेरिएंट के बारे में।
क्या होता है चिकनपॉक्स?
चिकनपॉक्स, जिसे चेचक भी कहा जाता है, एक प्रकार का इंफेक्शन होता है जिसका कारण वेरिसेला जोस्टर नाम का वायरस होता है। इस बीमारी का अधिकतर प्रभाव बच्चों पर देखने को मिलता है। ज्यादातर 10 साल की उम्र से पहले बच्चे इसकी चपेट में आते हैं। जब किसी व्यक्ति को चेचक होता है, तो उनका इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज नामक प्रोटीन बनाता है, जो वायरस के खिलाफ लड़ता है। यह एंटीबॉडीज वायरस से लड़कर, उसे मारकर शरीर की रक्षा करते हैं। परिणामस्वरूप, एक बार चेचक होने के बाद व्यक्ति को फिर से चेचक होने का खतरा कम होता है।
क्या हैं चिकनपॉक्स के लक्षण?
चिकनपॉक्स में व्यक्ति को तेज बुखार, दर्द, और सिरदर्द की समस्या होती है। इसके साथ ही, शरीर पर छोटे छाले हो जाते हैं, जिनमें खुजली हो सकती है। ये छाले किसी भी जगह पर हो सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों को भूख भी कम लगती है।
क्या है चिकनपॉक्स का इलाज
आमतौर पर बच्चों को चेचक होने पर खुजली और बुखार के लक्षणों से राहत पाने के लिए इलाज की आवश्यकता होती है। खुजली को कम करने के लिए, आप कैलामाइन लोशन का उपयोग कर सकते हैं। बुखार को कम करने के लिए पैरासिटामोल देने से आराम मिल सकता है। बिना डॉक्टरी सलाह के खुद से दवा नहीं लेनी चाहिए। बच्चे को पर्याप्त पानी या फ्लूइड्स पिलाना बेहद महत्वपूर्ण है, और उसे आराम करने देना चाहिए। चिकनपॉक्स होने पर बच्चे के नाखूनों को काटकर रखें, क्योंकि बच्चा छालों पर खुजली करके उन्हें छील सकता है।
चिकनपॉक्स से बच्चों का कैसे करें बचाव
चिकनपॉक्स से बचने का सबसे सही तरीका है बच्चे को चिकनपॉक्स का वैक्सीन लगवाना। 18 महीने और 7 साल के बच्चों को चिकनपॉक्स की वैक्सीन दी जाती है। 14 साल और इससे बड़े बच्चों को भी अगर चेचक नहीं हुआ है और वैक्सीन नहीं लगाई गई है, तो उन्हें भी टीका लगवा सकते हैं। चिकनपॉक्स की वैक्सीन 90 प्रतिशत असरकारी होती है। इसका मतलब है कि वैक्सीन के बाद बच्चे को चेचक नहीं होगा, और अगर हो जाए तो भी वह जल्दी ठीक हो जाता है। छाले ज्यादा गंभीर नहीं होते।
क्या है क्लैड 9 के लक्षण?
चिकनपॉक्स के नए और खतरनाक वेरिएंट क्लैड 9 के लक्षण एक या दो दिनों में नहीं, बल्कि दो से तीन हफ्तों बाद दिखाई देते हैं। इनमें सबसे पहले चेहरे और छाती पर लाल दाने दिखते हैं, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में चकत्तों के रूप में फैल जाते हैं। क्लैड 9 के मरीजों को थकान, कमजोरी, सिर में दर्द, और शरीर में दर्द की समस्या बढ़ जाती है।
कैसे फैलता है यह वायरस?
क्लैड 9 चिकनपॉक्स वायरस, खांसने और छींकने के साथ तेजी से फैलता है। ऐसे में संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आना भी खतरनाक हो सकता है। इनके संपर्क में आने पर चिकनपॉक्स वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में पहुँच सकता है। यह वायरस कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को आसानी से आक्रमण कर लेता है। इसी वजह से यह बीमारी सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करती है।
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धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं
चिकन पॉक्स को खासकर शीतला माता से जोड़ा जाता है। शीतला माता का संस्कृत में अनुवाद होता है “ठंडक प्रदान करने वाली”। शीतला माता को मां दुर्गा का एक रूप माना जाता है। लोग माता की पूजा करके यह मानते हैं कि उनकी कृपा से चेचक, फोड़े-फुंसी, और घाव ठीक हो जाते हैं। इसके लिए शीतला अष्टमी जैसे पर्व भी मनाए जाते हैं। इस दिन घरों में गरम खाना नहीं पकाया जाता और लोग माता की पूजा करने के उपरांत एक दिन पहले का बासी खाना ही खाते हैं, इस प्रकार माता को खुश करते हैं और अपने घर को बीमारियों से दूर रखते हैं।