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राजनीति के नये मौसम वैज्ञानिक बने ओमप्रकाश राजभर

by Rakesh Pandey
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फोटोन न्यूज : अगले साल यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही नफा-नुकसान के आधार पर जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गयी है। देश की राजनीति के लिए आगामी 17 व 18 जुलाई का दिन काफी महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है। एक ओर कांग्रेस की अगुवाई में जहां 17 व 18 जुलाई को महागठबंधन का नया खाका खींचा जाएगा, वहीं 18 जुलाई को ही दिल्ली में भाजपा की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कुनबे को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक होगी।

दोनों बैठकों की केंद्र में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव होंगे। राजनीतिक दलों जोड़तोड़ में कई दिलचस्प पार्टी व नेता भी हैं। ये वो हैं जो समय-समय पर अपना पाला बदलने के लिए मशहूर हैं। उन्हीं में से एक हैं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर। ओमप्रकाष राजभर अपनी बेबाकी के लिए मशहूर इन दिनों राजनीति के मौसम वैज्ञानिक के रूप में जाने जा रहे हैं। ओपी राजभर के चुनावी दांव-पेच पर केंद्रित पेश है द फोटॉन न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट-

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बन गयी। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल करवाने के साथ ही 18 जुलाई को होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए निमंत्रण भी दिया। इसके बाद राजभर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वे लोगों का बहुत इंतजार करते रहे।

कई बार संवाद भी भिजवाया, लेकिन किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने अपने समाज, शोषित, पीड़ित, वंचित व गरीबों के उत्थान का जो वायदा किया है, उसे तो पूरा करना ही है। इसके लिए उन्होंने एक बार फिर एनडीए से हाथ मिला लिया। राजभर ने कहा कि एनडीए में शामिल होने के बाद उत्तर प्रदेश में अब कोई लड़ाई ही नहीं है।

चुनाव में खेल बिगाड़ने वाले नेता के रूप में उभरे राजभर

आम तौर पर राजनीति का मौसम वैज्ञानिक लोजपा प्रमुख रहे (अब दिवंगत) रामबिलास पासवान को कहा जाता था। राजनीति के जानकार बताते हैं कि वे अगली सरकार किसकी बनेगी, उसकी हवा भांप कर उसके साथ हो जाते थे। हाल के दिनों में ओपी राजभर भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। राजभर के राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा के साथ हई। वर्ष 1981 में वे कांशीराम के साथ जुड़े और बसपा के संस्थापक सदस्यों में रहे।

भदोही जिले का नाम संत कबीर नगर रखे जाने पर बहन मायावती के साथ ओमप्रकाश राजभर के बीच तनातनी शुरू हो गयी। जिसके बाद उन्होंने वर्ष 2001 में भारतीय समाज पार्टी का गठन किया। अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाने के लिए अपने समाज के लोगों को लेकर आगे बढ़ते रहे। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे। हालांकि उन्हें कोई खास सफलता तो नहीं मिली।

लेकिन उनका नाम चुनाव में दूसरे का खेल बिगाड़ने वाले नेता के रूप में तेजी से उभरा। इसी बीच उन्होंने पिछड़ा वर्ग को अपने साथ जोड़ने के लिए महाराजा सुहेलदेव के नाम का उपयोग किया और अपनी पार्टी का नाम सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी रख लिया।

2017 में भाजपा, 2019 में छोटे दलों के कन्वेनर जबकि 2022 में सपा के साथ
ओम प्रकाश राजभर वर्ष 2017 में एनडीए का हिस्सा बने, विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ा जिससे पूर्वांचल में एनडीए को काफी अच्छी सफलता मिली। एनडीए ने उन्हें पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बना कर इनाम भी दिया। बाद में राजभर ने कहा कि मंत्री का पद, गाड़ी, बंगला दिया गया है लेकिन असल में उनके हाथ बांध दिये गये हैं।

इसके बाद उन्होंने एनडीए छोड़ दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी ताकत बनकर उभरने की महत्वाकांक्षा के कारण उन्होंने उत्तर प्रदेश के छोटे दलों के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। उसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ हाथ मिलाया। यहां भी दांव उल्टा पड़ गया। अखिलेश यादव को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। जिसके बाद अब एक बार फिर वे एनडीए का हिस्सा बन गये हैं।

 

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