Palamu (Jharkhand) : झारखंड के पलामू जिले में अवैध खनन के खिलाफ चल रही कार्रवाई एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि खनन विभाग को अवैध खनन रोकने के लिए विशेष रूप से उपलब्ध कराए गए पुलिस बल का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है, जिसका सीधा फायदा उठाकर खनन माफिया जब्त की गई गाड़ियों को बार-बार छुड़ाने में सफल हो रहे हैं।
दो दिनों में दो बड़ी घटनाएं, माफियाओं के हौसले बुलंद
जिले में पिछले दो दिनों के भीतर ऐसी दो घटनाएं सामने आई हैं, जिससे खनन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अलग-अलग थाना क्षेत्रों में हुई इन घटनाओं में अवैध कोयला और बालू ढोने वाले वाहन जब्त तो किए गए, लेकिन शातिर माफिया पुलिस और विभाग को धता बताते हुए इन गाड़ियों को छुड़ाकर फरार हो गए।
पहली घटना रविवार रात को पांकी थाना क्षेत्र में हुई, जहां अवैध कोयले से लदी एक गाड़ी को खनन विभाग की टीम ने पकड़ा था। लेकिन, कार्रवाई के कुछ ही देर बाद माफिया मौके पर पहुंचे और जबरन गाड़ी को लेकर भाग निकले। वहीं, दूसरी घटना सोमवार रात को लेस्लीगंज थाना क्षेत्र में हुई, जहां अवैध बालू के खिलाफ कार्रवाई करते हुए खनन विभाग ने तीन ट्रैक्टर जब्त किए थे।
इस मामले में भी माफिया विभाग पर भारी पड़े और सभी ट्रैक्टरों को छुड़ा ले गए। इन दोनों ही मामलों में संबंधित थानों में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराई गई है और पुलिस माफियाओं की धरपकड़ के लिए छापेमारी कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर गाड़ियां जब्त होने के बाद भी माफिया उन्हें कैसे छुड़ा ले जा रहे हैं।
डेडिकेटेड बल की अनदेखी, जिला खनन पदाधिकारी का विवादित बयान
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि खनन विभाग को अवैध माइनिंग पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए एक पदाधिकारी और चार पुलिस जवानों का एक समर्पित (डेडिकेटेड) बल मुहैया कराया गया है। बावजूद इसके, विभाग द्वारा इन कार्रवाइयों में इस विशेष बल का उपयोग नहीं किया गया। जब इस बारे में जिला खनन पदाधिकारी सुनील कुमार से पूछा गया, तो उन्होंने एक ऐसा बयान दिया जो विभाग की मंशा पर ही सवाल खड़े करता है। सुनील कुमार ने कहा कि डेडिकेटेड बल के साथ छापेमारी करने पर सफलता नहीं मिलती, जबकि बल के बिना की गई कार्रवाई अक्सर बेहतर परिणाम देती है। इस बयान ने न केवल विभाग की रणनीति पर बल्कि सुरक्षा उपायों पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
प्रशासन करेगा कार्रवाई की समीक्षा?
लगातार हो रही इन विफलताओं के बाद अब प्रशासन भी हरकत में आ सकता है। सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन द्वारा खनन विभाग की कार्यशैली और बार-बार हो रही चूक की समीक्षा की जा सकती है। हालांकि, इन घटनाओं में खनन विभाग की टीम पर किसी तरह का सीधा हमला नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरह से माफिया जब्त गाड़ियों को छुड़ाने में कामयाब हो रहे हैं, उससे उनके हौसले लगातार बुलंद होते नजर आ रहे हैं। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि अवैध खनन के कारोबार को भी बढ़ावा दे रही है।