सेंट्रल डेस्क। Russia President Election 2024: रूस के राष्ट्रपति चुनाव के लिए शुक्रवार से मतदान हो रहा है। आज तीसरे दिन भी वोटिंग जारी है। यह वोटिंग आज रात आठ बजे तक जारी रहेगी। वहीं चुनाव परिणाम 7 मई को घोषित किए जाएंगे। मजबूत प्रत्याशियों के बिना हो रहे इन चुनावों में 5वीं बार भी व्लादिमीर पुतिन के ही जीतने की संभावना है। उनका 5वीं बार राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। रूस के राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया की नजरें टिकी हुईं हैं।
Vladimir Putin- जीतना तय क्यों?
पुतिन अब तक चार बार रूस के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं और हर चुनाव में उनका वोट प्रतिशत पहले के मुकाबले बढ़ा ही है। साल 2000 में पुतिन पहली बार राष्ट्रपति चुने गए थे, तब उन्हें 54% वोट मिले थे। इसके बाद 2004 में उन्हें 72% और 2012 में 65% वोट मिले थे। 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन ने 77% वोट हासिल किए थे।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 71 साल के पुतिन की छवि रूस में एक ‘सख्त नेता’ की है। और उनकी लोकप्रियता की एक बड़ी वजह यही है। यूक्रेन से जंग के बीच पुतिन पर ‘वॉर क्राइम’ के आरोप लगे हों, लेकिन रूस की एक बड़ी आबादी को उनका समर्थन हासिल है। रूसी मानते हैं कि पुतिन ही हैं जो अमेरिका-यूरोप जैसे पश्चिमी देशों को सख्ती से जवाब दे सकते हैं। फरवरी में एक सर्वे हुआ था, जिसमें 75 फीसदी रूसियों ने पुतिन को ही वोट देने की बात कही थी।
Vladimir Putin के सामने कौन-कौन?
रूसी राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन के खिलाफ तीन उम्मीदवार हैं। जिसमें न्यू पीपुल्स पार्टी नेता व्लादिस्लाव दवानकोव, लीबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रशिया के नेता लियोनिड स्लट्स्की और कम्युनिस्ट पार्टी नेता निकोलाई खारितोनोव का नाम शामिल है।
Russia President Election 2024 : पुतिन के खिलाफ खड़े उम्मीदवारों के बारे में जानकारी
Vladislav Davankov: व्लादिस्लाव दवानकोव की बात करें तो व्लादिस्लाव दवानकोव रूस की न्यू पीपल पार्टी के नेता हैं और रूस की स्टेट ड्यूमा में साल 2021 से उपाध्यक्ष हैं। 40 साल के दवानकोव को उदारवादी नेता माना जाता है। दवानकोव यूक्रेन के साथ शांति के समर्थक हैं और साथ ही गैरजरूरी सेंसरशिप के भी खिलाफ हैं। दावनकोव खुद को पुतिन का सबसे अच्छा विकल्प बताते हैं।
Nikolai Kharitonov: निकोलाई खारितोनोव भी रूसी कम्युनिस्ट नेता स्टेट ड्यूमा के सदस्य हैं और 1994 से ड्यूमा का हिस्सा हैं। 75 साल के निकोलाई आर्कटिक क्षेत्र के विकास के लिए बनी समिति के अध्यक्ष हैं। निकोलाई खारितोनोव इससे पहले साल 2004 में भी रूस के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे। अब एक बार फिर वह पुतिन को चुनौती दे रहे हैं।
Leonid Slutsky: लियोनिड स्लट्स्की का जन्म 4 जनवरी 1968 को हुआ था और वह रूस की प्रमुख राजनीतिक पार्टी लिबल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रूस यानी एलडीपीआर के शीर्ष नेता हैं। 56 साल के साल लियोनिड स्लट्स्की 2022 से पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं और स्टेट ड्यूमा कमेटी के अंतरराष्ट्रीय मामलों के चेयरमैन हैं।
लियोनिड स्लट्स्की 1999 से स्टेट ड्यूमा में शामिल हैं। स्लट्स्की ने ही रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद शांति वार्ता में रूस का प्रतिनिधित्व किया था। स्लट्स्की कई विवादों में भी फंस चुके हैं, जिसमें साल 2018 में संसद में यौन उत्पीड़न के मामले में उनकी संलिप्तता के आरोप लगे थे। स्लट्स्की पर अमेरिका, कनाडा और यूरोप ने प्रतिबंध लगाए हुए हैं।
सबसे ताकतवर बन जाएंगे पुतिन
रूस में अब तक सबसे ज्यादा लंबे समय तक सत्ता में सिर्फ जोसेफ स्टालिन रहे हैं। अगर पुतिन इस चुनाव में जीत जाते हैं तो 2030 तक इस पद पर बने रहेंगे। पुतिन 24 साल से सत्ता में हैं और 6 साल का ये कार्यकाल पूरा करने के साथ ही उन्हें 30 साल हो जाएंगे। उनसे पहले जोसेफ स्टालिन 29 साल तक रूस की सत्ता में रहे हैं।
स्टालिन ने 1924 से 1953 तक रूस की सत्ता संभाली है। रूस में सबसे ताकतवर शख्स राष्ट्रपति ही होते हैं और पुतिन इसमें खरे भी उतरते हैं। पुतिन का न सिर्फ वहां दबदबा है, बल्कि मीडिया से लेकर अपने विरोधियों तक पर उनका कंट्रोल है।
ऐसे राजनीति में आए थे पुतिन
7 अक्टूबर 1952 को सोवियत संघ के लेनिनग्राड में व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन और मारिया इवानोवना के घर व्लादिमीर पुतिन का जन्म हुआ। वो अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे। उनके दो बड़े भाइयों की बचपन में ही बीमारी से मौत हो गई थी। पुतिन के दादा स्पिरिडोन पुतिन सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के पर्सनल कुक थे। पुतिन के पिता सोवियत नेवी में तो उनकी मां फैक्ट्री में काम किया करती थीं।
सितंबर 1960 से पुतिन ने अपने घर के पास के ही एक स्कूल से पढ़ाई शुरू की। उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। 1975 में पुतिन ने सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB को जॉइन किया। 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर तैनात किया गया। ये विदेश में उनकी पहली तैनाती थी।
करीब 16 सालों तक जासूस का काम करने के बाद पुतिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए। पुतिन 24 साल से रूस की सत्ता पर काबिज हैं। पुतिन ने अपने शासन में विपक्ष और मीडिया पर कंट्रोल किया हुआ है। 1999 में भी जब येल्तसिन ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो कई लोग इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन पुतिन को कोई नहीं रोक सका।
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