नई दिल्ली: भारत में संविधान लागू होने के 75 वर्ष मंगलवार को पूरे हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित संविधान दिवस के विशेष सत्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य शीर्ष नेताओं इस ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित थे। इस दिन के महत्व को और बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति मुर्मू ने विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किए।
संविधान दिवस की ऐतिहासिक अहमियत
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि आज संविधान दिवस के इस पावन अवसर पर हम सभी एक ऐतिहासिक मौके का हिस्सा बन रहे हैं। 75 साल पहले, आज के दिन, इसी कक्ष में हमारे संविधान का निर्माण हुआ और उसे अपनाया गया। यह संविधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव है और इसके द्वारा हम समाज में समानता, स्वतंत्रता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राष्ट्रपति ने संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में इस संविधान को तैयार किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने उन सभी व्यक्तियों का भी उल्लेख किया, जिन्होंने इस महान कार्य में अपना योगदान दिया, खासकर बीएन राव का, जो संविधान सभा के प्रमुख सलाहकार थे।
संविधान के उद्देश्यों और भविष्य की दिशा
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान ने हमें एक ऐसा ढांचा प्रदान किया है, जिससे हम अपने अधिकारों का संरक्षण कर सकते हैं और समाज में समानता की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने यह भी याद दिलाया कि आगामी 26 जनवरी को भारत अपने गणराज्य की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा, जो हमारे राष्ट्रीय एकता और गौरव को दर्शाता है।
संविधान का निर्माण केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं था, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का परिणाम था, जो कई दशकों की मेहनत और संघर्ष के बाद हमें प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान में हमारे आदर्शों, जैसे न्याय, स्वतंत्रता और समानता, को स्पष्ट रूप से परिलक्षित किया गया है।
संविधान की प्रगति और सरकार की प्रतिबद्धता
राष्ट्रपति ने संविधान की भावना के अनुसार कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के दायित्वों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन तीनों संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य जनता की भलाई के लिए मिलकर काम करना है। उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं का भी उल्लेख किया, जिनसे समाज के पिछड़े वर्गों को फायदा हो रहा है, जैसे कि पक्का घर, बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं, चिकित्सा सेवाएं और बड़ा बुनियादी ढांचा।
इसके साथ ही उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम और जीएसटी जैसे पहलुओं का भी उल्लेख किया, जो महिलाओं और देश के आर्थिक एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।
संविधान का जीवंत दस्तावेज और भविष्य
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है, जो समय के साथ विकसित होता है और विभिन्न सामाजिक न्याय लक्ष्यों को पूरा करता है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारे संविधान निर्माताओं ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को मजबूत करने का संदेश भी दिया है, और आज हमारा देश न केवल आर्थिक रूप से मजबूत है, बल्कि विश्वबंधुता के विचारों को भी बढ़ावा दे रहा है।
संविधान के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी
राष्ट्रपति मुर्मू ने अंत में देशवासियों से अपील की कि वे संविधान के मूल्यों को अपने जीवन में लागू करें। उन्होंने कहा कि संविधान का जीवन में पालन करना हम सभी की जिम्मेदारी है, ताकि हम अपने समाज को एक समान और न्यायपूर्ण बना सकें।
उन्होंने सभी देशवासियों को संविधान दिवस की हार्दिक बधाई दी और कहा कि जय हिंद, जय भारत। इस संबोधन के साथ राष्ट्रपति ने संविधान के प्रति हमारे सामूहिक समर्पण और इसकी प्रासंगिकता को फिर से उजागर किया।

