रांची: राजधानी रांची की सफाई व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। नगर निगम द्वारा स्वच्छता कॉरपोरेशन एजेंसी को सौंपे गए कार्यों में न तो समय पर प्रगति हो रही है, न ही लोगों को कोई राहत मिल रही है। दरअसल, नगर निगम ने शहर में ढाई लाख घरों में आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग लगाने का लक्ष्य एजेंसी को दिया था, जिससे घर-घर कचरा कलेक्शन को ट्रैक और मॉनिटर किया जा सके। लेकिन छह महीने बाद भी महज 80 हजार घरों में ही टैग लग पाए हैं। वहीं लिमिटेड गाड़ियों में ही आरएफआईडी लगाए गए हैं। जिससे प्रॉपर मॉनिटरिंग भी नहीं हो पा रही है।
निगम और एजेंसी गंभीर नहीं
इससे साफ है कि निगम और एजेंसी दोनों ही अपनी जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर नहीं हैं। यही नहीं, आरएफआईडी टैगिंग के साथ-साथ एजेंसी को पूरे शहर से 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन सुनिश्चित करना था, लेकिन आज भी कई मोहल्लों में नियमित कचरा उठाव नहीं हो रहा है। नतीजतन, सड़क किनारे और घरों के सामने कूड़े के ढेर देखने को मिल रहे हैं, जिससे बदबू और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। वहीं लगातार बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है।
पूर्व पार्षदों ने भी की शिकायत
स्थानीय लोगों का कहना है कि एजेंसी के कर्मचारी कई-कई दिनों तक कचरा उठाने नहीं आते। कई क्षेत्रों में तो महीनों से गाड़ियां नहीं दिखी हैं। इससे लोग परेशान हैं और उन्हें खुद कूड़ा फेंकने के लिए अन्य जगहों पर जाना पड़ता है। वहीं कई पूर्व पार्षदों ने भी नगर निगम प्रशासन से कई बार शिकायत की है, लेकिन निगम की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
6 महीने का दिया गया था समय
शहर की सफाई व्यवस्था को मॉडर्न और ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ने के उद्देश्य से ही आरएफआईडी टैगिंग की योजना बनाई गई थी। हर घर पर एक यूनिक टैग लगाकर यह सुनिश्चित करना था कि उस घर से नियमित रूप से कचरा उठाया जा रहा है या नहीं। साथ ही, यह भी देखा जाना था कि सफाई गाड़ी कहां तक जा रही है और कहां नहीं। लेकिन योजना लागू करने वाली एजेंसी ने छह महीने में ही इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। आईवाश के लिए अबतक मात्र 80 हजार घरों में ही आरएफआईडी लगाया गया है।
अधिकारी लगातार कर रहे विजिट
नगर निगम की ओर से एजेंसी को कई बार सफाई व्यवस्था बेहतर करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। अधिकारी लगातार विजिट कर रहे हैं। एजेंसी के अधिकारियों को निर्देश के बावजूद न तो टैगिंग का काम आगे बढ़ रहा है और न ही कलेक्शन व्यवस्था दुरुस्त हो रही है। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नगर निगम ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो आने वाले बरसात के मौसम में स्थिति और भी खराब हो सकती है। सड़कों पर कचरे के ढेर जल-जमाव के साथ मिलकर डेंगू, मलेरिया और अन्य बीमारियों को न्योता दे सकते हैं।