Home » RANCHI NEWS: मुख्यमंत्री से मिला मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल, कर दी ऐसी मांग  

RANCHI NEWS: मुख्यमंत्री से मिला मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल, कर दी ऐसी मांग  

by Vivek Sharma
WhatsApp Group Join Now
Instagram Follow Now

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल ने संथाल आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत), गिरिडीह को संरक्षित करने संबंधी कई महत्वपूर्ण मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि मरांङ बुरू संथाल समाज का पवित्र स्थल है, जहां वे युगों से पूजा करते आ रहे हैं। इस पर्वत को धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किए जाने की मांग की गई।

उन्होंने कहा कि संथाल समाज को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, विभिन्न न्यायालयों एवं प्रथागत अधिकारों के आधार पर इस भूमि पर विशेष अधिकार प्राप्त हैं। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि उनकी सभी मांगों पर राज्य सरकार विधिसम्मत कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

पारसनाथ को ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने पर आपत्ति

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पारसनाथ पर्वत पर जैन समुदाय के धार्मिक स्थलों का उल्लेख एकतरफा एवं असंवैधानिक है, जिसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने भारत सरकार द्वारा पारसनाथ को ईको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह फैसला ग्राम सभा की सहमति के बिना लिया गया है, जो वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्लंघन है।

ग्राम सभा को दी जाए जिम्मेदारी

समिति ने मांग की कि मरांङ बुरू के संरक्षण, प्रबंधन, अनुश्रवण और नियंत्रण की जिम्मेदारी ग्राम सभा को सौंपी जाए। इसके साथ ही मांग की गई कि संथालों के अन्य धार्मिक स्थलों जैसे लुगू बुरू, जाहेर थान, मांझी थान, हड़गड़ी आदि की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाया जाए। प्रतिनिधिमंडल ने फागुन शुल्क पक्ष तृतीय तिथि को मनाए जाने वाले मरांङ बुरू युग जाहेर, वाहा-बोंगा पूजा महोत्सव को राजकीय महोत्सव घोषित करने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पारसनाथ पर्वत क्षेत्र में जैन समुदाय द्वारा अवैध रूप से मठ, मंदिर एवं धर्मशालाओं का निर्माण किया गया है, जिसे अतिक्रमण से मुक्त कराए जाने की जरूरत है।

ये रहे मौजूद

इस अवसर पर राज्य मंत्री फागू बेसरा, समिति के अध्यक्ष रामलाल मुर्मू एवं साहित्यकार भोगला सोरेन समेत झारखंड, ओडिशा, बंगाल एवं छत्तीसगढ़ से आए संथाल समाज के कई बुद्धिजीवी सदस्य उपस्थित थे।

Related Articles