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महाशिवरात्रि में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करना क्यों जरूरी, जानें क्या है शुभ मुहूर्त

by The Photon News Desk
Mahashivratri
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स्पेशल डेस्क। Mahashivratri 2024: शुक्रवार को महाशिवरात्रि है। हम इस आर्टिकल में हम आपको पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि है और इसके आकार के बारे में जानकारी देंगे। महाशिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है। महाशिवरात्रि को लेकर मंदिरों में तैयारी चल रही है।

कल यानी आठ मार्च को महाशिवरात्रि है। पूजा करने से पहले सभी मुहूर्त को ध्यान में रखते है। ऐसे में महाशिवरात्रि को लेकर शुभ मुहूर्त के बारे में जानना जरूरी है। शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग के पूजा का विशेष महत्व है। पार्थिव शिवलिंग के पूजन से पुत्र की प्राप्ति होती है, साथ में मानसिक और शारीरिक परेशानियों भी दूर होती है। धन, धान्य, आरोग्य की प्राप्ति भी होती है। कलयुग में पार्थिव शिवलिंग में पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था।

Mahashivratri – पूजन के शुभ मुहूर्त

सुबह 6 : 30 से 11 बजे तक
दोपहर 12:30 से 2 बजे तक
शाम पांच बजे 6 बजे तक

Mahashivratri – शिवलिंग का निर्माण अंगूठे के बराबर करें

कहा जाता है कि घर के मंदिर में प्रतिमा जितनी छोटी होती है, उतना ज्यादा फल मिलता है। इसलिए शिवलिंग का निर्माण अंगूठे के बराबर करें। शिवमहापुराण में भी यह कहा गया कि शिवलिंग जितना छोटा होता है, उसके पूजन से इसका महत्व बढ़ जाता है।

Mahashivratri – कैसे बनायें पार्थिव शिवलिंग

शिवलिंग बनाते समय इसका ध्यान रखें कि पूर्व या उत्तर दिशा में शिवलिंग का मुंह हो। पार्थिव शिवलिंग नदी या तालाब की मिट्टी से ही बनाये क्योंकि तालाब की मिट्टी सबसे ज्यादा पवित्र होती है। पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए मिट्टी में फूल, चंदन और अन्य सामग्रियों को मिलाकर शोधित करें। फिर में इसमें दूध डालें। मिट्टी में गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म भी मिलाएं। शिव मंत्र का उच्चारण कर करते शिवलिंग अंगूठे के आकार का तैयार करें। पार्थिव शिवलिंग नहीं बना सकते है तो किसी मंदिर में जाकर पूजा कर सकते है।

Mahashivratri – शिवलिंग बनाने के बाद करें इन भगवान का आह्वान

पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद भक्त भगवान विष्णु, गणेश, माता पार्वती जी की पूजा करें। शिवलिंग बनाने के बाद षोडशोपचार करें। फिर शिवलिंग को ब्रह्म मानकर पूजा करें। पार्थिव शिवलिंग पर पूजा करने से सभी मनोकमानाएं पूरी होती है। साथ ही पूरा परिवार को सुखी रहता है।

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