रांची : मौनी अमावस्या इस वर्ष 29 जनवरी को मनाई जाएगी और इस दिन खास तिथियों का संयोग बन रहा है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। इस दिन त्रिवेणी, नवपंचम और सिद्ध योग का अद्भुत संयोग बनेगा, जो सभी तरह के शुभ कार्यों के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। खासतौर पर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से पापों से मुक्ति मिलती है और ग्रह दोषों का निवारण भी होता है।
त्रिवेणी योग और नवपंचम योग का महत्व
पंडित मनोज पांडेय ने बताया कि इस दिन विशेष ग्रहों के योग से त्रिवेणी और नवपंचम योग का निर्माण होगा। मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध ग्रहों का मिलन त्रिवेणी योग बनाता है। इस योग के दौरान देव गुरु बृहस्पति अपनी नवम दृष्टि से इन तीनों ग्रहों को देखेंगे, जिससे नवपंचम योग का निर्माण होगा। यह योग शुभ कार्यों को सफल बनाता है और विशेषत: सभी धार्मिक अनुष्ठानों को फल प्रदान करता है। इसके अलावा, इस दिन सिद्धि योग भी बन रहा है, जो किसी भी कार्य को आरंभ करने के लिए उत्तम माने जाते हैं। सिद्धि योग के समय किए गए प्रयासों में सफलता निश्चित होती है। इस योग का समय 28 जनवरी की रात 12:15 बजे से लेकर 29 जनवरी की रात 10:25 बजे तक रहेग
मौन व्रत और धार्मिक महत्व
मौनी अमावस्या को विशेष रूप से मौन व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन विशेष रूप से गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके लोग पूरे दिन मौन व्रत का पालन करते हैं। पंडित पांडेय ने बताया कि इस दिन का व्रत मुख्य रूप से योग और साधना से जुड़ा होता है, जो व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करता है। इस दिन किए गए कार्यों से यज्ञ और कठोर तपस्या के समान फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन का विशेष महत्व इस तथ्य में भी है कि मौनी अमावस्या के दिन ही मनु ऋषि का जन्म हुआ था। “मनु” शब्द से ही “मौनी” की उत्पत्ति मानी जाती है, जो इस दिन के खास धार्मिक महत्व को दर्शाता है। पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से न केवल शरीर की शुद्धि होती है, बल्कि व्यक्ति के मन और आत्मा की भी शुद्धि होती है।
धार्मिक अनुष्ठान और पवित्र ग्रंथों का पाठ
मौनी अमावस्या पर धार्मिक अनुष्ठान के तहत स्नान, दान, तप, व्रत कथा और विशेष पाठ करने की परंपरा है। इस दिन व्रत अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार गीता, रामायण, भागवत, पुराणों और अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं, जिससे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। इन ग्रंथों के अध्ययन से जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है और आत्मिक उन्नति होती है।
शनि दोष से मुक्ति
पंडित मनोज पांडेय के अनुसार, इस दिन किया गया दान खासतौर पर शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। इस दिन के दान से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है, और ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचाव होता है।
मौनी अमावस्या का दिन विशेष रूप से धार्मिक आस्था, साधना और तपस्या का प्रतीक है। इस दिन ग्रहों के शुभ योगों के साथ-साथ भक्तों के लिए पुण्य कमाने और आत्मिक उन्नति के अनेक अवसर होते हैं। त्रिवेणी, नवपंचम और सिद्ध योग का संयोग इस दिन को और भी विशेष बना देता है। जो व्यक्ति इस दिन उपयुक्त धार्मिक कार्यों में भाग लेते हैं, उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।