- UGC ने 2025 के लिए न्यूनतम योग्यता नियमों का ड्राफ्ट जारी किया
नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने हाल ही में ‘यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों और एकेडमिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता, नियम 2025’ का ड्राफ्ट जारी किया है। इस ड्राफ्ट के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए विषय की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है, जिससे अब अलग-अलग क्षेत्रों के पेशेवरों को भी इस पद पर नियुक्त किया जा सकेगा।
नए नियमों से बढ़ेगी बहु-विषयक शिक्षा की संभावना
यूजीसी के नए नियमों का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लक्ष्यों को साकार करना है, जिससे बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा मिले। इस बदलाव से विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, अब पीएचडी और यूजीसी नेट जैसे पुराने योग्यता मानदंडों को छोड़कर, काम की योग्यता पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
प्रोफेशनल्स के लिए खुलेंगे नए अवसर
अब प्रैक्टिस के प्रोफेसर के रूप में उन पेशेवरों को भी नियुक्त किया जा सकेगा, जिन्होंने इंडस्ट्री में वर्षों का अनुभव प्राप्त किया है। इसमें योग, संगीत, नाटक जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले विशिष्ट व्यक्तित्व को असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया जा सकेगा। इसके साथ ही, खेल क्षेत्र से संबंधित व्यक्तियों के लिए भी शिक्षण में प्रवेश के नए रास्ते खोले गए हैं।
कुलपति की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव
यूजीसी ने कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए नियमों में भी बदलाव किया है। अब शिक्षाविदों के साथ-साथ शोध संस्थान, पब्लिक पॉलिसी, प्रशासन, और उद्योग से जुड़े पेशेवरों को भी इस पद के लिए पात्र माना जाएगा। इससे शिक्षा के क्षेत्र में विविधता और प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
प्रोमोशन के लिए एपीआई सिस्टम खत्म
नए नियमों के तहत अब प्रोमोशन के लिए एपीआई (एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडिकेटर) पॉइंट्स सिस्टम का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके बजाय शिक्षकों की शैक्षिक पद्धतियों में नवाचार, डिजिटल शिक्षा, और सामुदायिक सेवा जैसे योगदानों का मूल्यांकन किया जाएगा।
अलग-अलग विषयों में पढ़ाई करने वाले उम्मीदवारों को भी मिलेगा मौका
पारंपरिक नियमों के तहत शिक्षकों को एक ही विषय में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, और पीएचडी करनी होती थी, लेकिन नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब यूजीसी नेट और पीएचडी के क्षेत्र से जुड़े शिक्षकों को विभिन्न विषयों में शिक्षण के अवसर मिलेंगे। इससे यूनिवर्सिटी को नियुक्तियों में ज्यादा लचीलापन मिलेगा।