अंतरिक्ष में लंबा सफर: सेहत और मनोविज्ञान पर असर...
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण हड्डियों की घनत्व घटती है, जिससे वे नाजुक हो जाती हैं और धरती पर लौटने के बाद फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
अंतरिक्ष में कम शारीरिक सक्रियता के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे शारीरिक क्षमता और शक्ति में कमी आती है।
अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के कारण हृदय कमजोर हो सकता है, जिससे हृदय संबंधी कार्यों और रक्तचाप नियंत्रण में परेशानी हो सकती है।
अंतरिक्ष में विकिरण के संपर्क में आने से कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि वहां पृथ्वी के सुरक्षात्मक वातावरण का अभाव होता है।
स्पेसफ्लाइट-एसोसिएटेड न्यूरो-ऑक्युलर सिंड्रोम (SANS) के रूप में जानी जाने वाली दृष्टि समस्याएं शरीर में द्रव के असंतुलन के कारण विकसित हो सकती हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे वे अंतरिक्ष यात्रा के दौरान और बाद में संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
मनोवैज्ञानिक समस्याएं
अलगाव और कठिन वातावरण के कारण तनाव, चिंता और नींद से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।