महाकुंभ 2025: संगम तट पर भव्य तैयारियां और अद्भुत नजारा

13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने जा रहे महाकुंभ 2025 की तैयारियां अपने चरम पर हैं। संगम के तट पर सुरक्षा, सुविधाएं और आवास के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं ताकि 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिल सके।

प्रयागराज में महाकुंभ के लिए तैयारियां पूरी

संगम तट पर विशाल टेंट सिटी बसी हुई है, जो एरियल व्यू में एक अलग दुनिया जैसी नजर आती है। रात में बिजली की सजावट के साथ ये टेंट सिटी स्वर्ग के जैसे दमकते हुए प्रतीत होते हैं।

अद्भुत टेंट सिटी का नजारा

महाकुंभ के लिए साधु-संतों और नागा सन्यासियों का आगमन शुरू हो चुका है। शाही स्नान की तैयारियों के लिए ये संत विभिन्न प्रकार के पारंपरिक वस्त्र पहनकर संगम तट पर डेरा डाले हुए हैं।

साधु-संतों का जमावड़ा शुरू

महाकुंभ हर 144 साल में एक बार आयोजित होता है और इस बार इसे ऐतिहासिक रूप से फिर से आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले महाकुंभ 1881 में हुआ था।

144 साल बाद महाकुंभ का आयोजन

महाकुंभ का आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें देवता और असुरों के बीच अमृत के लिए युद्ध हुआ था, और अमृत की कुछ बूंदें संगम तट पर गिरी थीं, जिससे ये स्थान पवित्र हुआ।

समुद्र मंथन से जुड़ी  पौराणिक कथा

श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कई इंतजाम किए गए हैं। संगम के तट पर पुलों का निर्माण, तैरते हुए कॉटेज और हर सुविधा का ध्यान रखा गया है।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा की  पूरी व्यवस्था

संगम पर बने कई पुल श्रद्धालुओं के लिए रास्ता आसान बनाएंगे, जबकि तैरते कॉटेज, जो संगम के जल में विलीन हो चुके हैं, एक नया आकर्षण बने हैं। इन फ्लोटिंग कॉटेज में रहने का अनुभव अद्वितीय होगा।

पुलों और तैरते हुए  कॉटेज का आकर्षण

महाकुंभ का नजारा आसमान से देखने पर बहुत ही चकाचौंध करने वाला होता है। संगम पर आकाश में बिखरे असंख्य दीपों के साथ भव्यता देखने लायक होती है।

आसमान से चकाचौंध नजारा

महाकुंभ से पहले ठंड और कोहरे वाले दिनों में संगम पर श्रद्धालु नाव में सवार होकर गंगा-जमुना के संगम में स्नान करते हुए एक दिव्य अनुभव प्राप्त करते हैं।

ठंड और कोहरे में स्नान का अद्भुत अनुभव