जनजातीय आभूषणों की कला: धातु, मोती और परंपरा का संगम...
झारखंड की आभूषण परंपरा
यहां के जनजातीय आभूषण सिर्फ श्रृंगार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान हैं।
धातु से बनी पहचान
झारखंड में चांदी, पीतल और तांबे के गहनों का प्रमुख स्थान है।
मोतियों की सजावट
रंग-बिरंगे मोतियों से बने हार और चूड़ियाँ अद्भुत कलाकारी दिखाते हैं।
कानों की शोभा – झुमके
भारी झुमके और बालियाँ जनजातीय नारी की शान माने जाते हैं।
नथ और नाक की रिंग
नाक के आभूषण झारखंड की महिलाओं की पारंपरिक पहचान हैं।
कमरबंद और कंठहार
जनजातीय स्त्रियाँ कमरबंद और कंठहार से अपने रूप को सजाती हैं।
पुरुषों के आभूषण भी खास
पुरुष भी अंगूठी, चेन और कान की बालियों से सजते हैं।
हस्तनिर्मित शिल्प का सौंदर्य
हर आभूषण हाथ से बनाया गया एक अनूठा शिल्प होता है।
आधुनिक फैशन में जनजातीय प्रभाव
जनजातीय डिज़ाइनों का इस्तेमाल अब फैशन जगत में भी हो रहा है।
गहने जो कहानी कहते हैं
ये आभूषण परंपरा, पहचान और गौरव की कहानी कहते हैं।