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झारखंड में 8वीं पास बनेंगे स्वयं सेवी शिक्षक, निरक्षराें काे बनाएंगे साक्षर

by Rakesh Pandey
झारखंड में 8वीं पास बनेंगे स्वयं सेवी शिक्षक
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जमशेदपुर: नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के राज्य के सभी प्रखंडाे में 10 (दस) निरक्षरों पर एक स्वयं सेवी शिक्षकों (वीटी) का चयन किया जाएगा। इसके लिए वैसे लाेगाें काे रखा जाएगा जिन्हाेंने कम से कम कक्षा आठवीं तक की पढ़ाई पूरी की हो, जिन्हें स्मार्ट फोन- कंप्यूटर चलाना आता हो। जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय की ओर से इसे लेकर सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियाें काे निर्देश जारी किया गया है।

झारखंड में 8वीं पास बनेंगे स्वयं सेवी शिक्षक

स्वयं सेवी शिक्षकाें की नियुक्ति में शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के अध्यनरत या उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं, उच्च शिक्षण संस्थानों के अध्यनरत या उत्तीर्ण विद्यार्थियों, नेहरू युवा केंद्र संगठन, एनएसएस, एनसीसी आदि के स्वयंसेवकों, गृहिणियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सेवानिवृत शिक्षकों, पंचायती राज संगठनों अन्य संस्थानों के स्वयंसेवकों आदि को प्राथमिकता दी जा सकती है। आदेश के तहत प्रथम चरण में इस याेजना के तहत सभी प्रखंडाें में कम से कम 100 स्वयं सेवी शिक्षकों (वीटी) का चयन कर इसकी सूची उल्लास एप पर अपलाेड करने काे कहा गया है। सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियाें काे इसकी जिम्मेदारी दी गयी है। इनका काम अपने आस पास के कम से कम 10 निरक्षराें काे चिन्हित कर उन्हें साक्षर बनाना है।

स्वयं शिक्षकाें काे दी जाएगी ट्रेनिंग:
यह स्वयंसेवी शिक्षक घर-घर जाकर गैर साक्षर लोगों को अक्षर ज्ञान देंगे। साथ ही एक स्वयंसेवी शिक्षक पर 10 गैर साक्षर लोगों को शिक्षा देने की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए जिले में करीब 1100 शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। बताया जा रहा है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हाेने के बाद इन शिक्षकों को गैर साक्षर लोगों को शिक्षा मुहैया करवाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि यह स्वयंसेवी शिक्षक गैर साक्षर लोगों को साक्षर बना सकें। हालांकि इन्हें किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक नहीं मिलेगा।

15 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोग होंगे साक्षर:

कार्यक्रम के तहत 15 साल से अधिक उम्र के सभी युवा, महिला, बुजुर्गों, जो साक्षर नहीं हैं, उन्हें साक्षर बनाया जाएगा। इसमें अक्षर व संख्या का ज्ञान करवाया जाएगा। ताकि वे पढ़ना और लिखना सीख सकें। पांच साल तक चलने वाले कार्यक्रम में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, बुनियादी शिक्षा (समानता), व्यावसायिक कौशल विकास और सतत शिक्षा के बारे में बताया जाएगा। इसके लिए सभी सामग्री और संसाधन डिजिटल रूप से प्रदान किए जाएंगे। टीवी, रेडियो, सेल फोन के माध्यम से जानकारी दी जाएगी।

महत्वपूर्ण जीवन कौशल प्रदान करना उद्देश्य

15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों को महत्वपूर्ण जीवन कौशल प्रदान करना इसका उद्देश्य है। इन्हें बुनियादी शिक्षा प्रदान करना है। इसमें प्रारंभिक (कक्षा तीन से पांच) मध्य (कक्षा छह से आठवीं तक और माध्यमिक स्तर (कक्षा नौ से 12 तक) की जानकारी दी जाएगी। इसमें एनसीईआरटी और एनआईओएस का भी सहयोग लिया जाएगा। ऐसे लोगों को व्यावसायिक कौशल भी प्रदान किया जाएगा।

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