धर्म-कर्म डेस्क : आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के अलावा महालया अमावस्या भी कहा जाता है। जहां सुबह के समय पितरों का श्राद्ध कर्म करने के साथ उन्हें विधिवत विदा किया जाता है। वहीं शाम को मां दुर्गा को धरती पर आमंत्रित किया जाता हैं। महालया अमावस्या बंगाल में काफी खास होता है। क्योंकि इस दिन से दुर्गा पूजा का आरंभ होता है। जानिए क्या है महालया और क्यों है बंगाल में खास।
पितरों की विदाई के बाद देवी का होता है आह्वान
महालया का पर्व बंगाली समुदाय के लिए काफी खास माना जाता है। इस दिन सुबह के समय पितरों को पृथ्वी लोक से विदा किया जाता है। वहीं शाम के समय मां दुर्गा का धरती में आगमन के लिए आह्वान किया जाता था। इस दिन शाम के समय मां दुर्गा अपने योगनियां और अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ धरती में पधारती हैं।
इस रूप में बुलाते हैं मां दुर्गा को
बंगाल में महालया के दिन मां दुर्गा को पुत्री के रूप में आह्वान किया जाता है। क्योंकि मां दुर्गा पार्वती के रूप में हिमालय की पुत्री है। ऐसे में पृथ्वी माता दुर्गा का मायका है। इसलिए जगत माता पूरे नौ दिनों के लिए अपने मायके में आती हैं।
क्या हैं मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महालया से दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है। सनातन धर्म में महालया का बहुत ही विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, महालया के दिन को नवरात्रि और पितृपक्ष की संधिकाल भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करके माता से घर में आगमन के लिए निवेदन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितृ देवों को जल तिल अर्पित किया जाता है साथ ही उन्हें नमन भी किया जाता है।
2023 में कब है महालया?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल महालया और पितृपक्ष अमावस्या दोनों एक ही दिन होगी। पंचांग के अनुसार, महालया और पितृ पक्ष की अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें तैयार करता है। इसके साथ मां दुर्गा की मूर्तियों के अंतिम रूप भी देना शुरू कर देता है। बंगाल के लोग इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतजार होता है। शास्त्र के अनुसार, इस दिन से ही नवरात्रि और दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है।
READ ALSO : बापू के विचारों की प्रासंगिकता
इस वर्ष, महालया अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 शनिवार को है
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 14 अक्टूबर 2023 को प्रातः 03:20 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त: 15 अक्टूबर 2023 को प्रातः 04:54 बजे
अपराहन काल: दोपहर 02:24 बजे से शाम 05:00 बजे तक, शनिवार, 14 अक्टूबर 2023
कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक, शनिवार, 14 अक्टूबर 2023
रोहिना मुहूर्त: दोपहर 12:32 बजे से दोपहर 01:20 बजे तक, शनिवार, 14 अक्टूबर, 2023
महालया अमावस्या श्राद्ध अनुष्ठान
महालया अमावस्या के दिन, भक्त परिवार के मृत सदस्यों के लिए श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठान का पालन करते हैं, यानी जो लोग अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को निधन हो गए थे। भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और नए पीले कपड़े पहनते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठानों को संपन्न करने के लिए घर पर एक ब्राह्मण या पंडित को भी आमंत्रित करते हैं। परिवार का सबसे बड़ा सदस्य श्राद्ध कर्म करता है। जब ब्राह्मण आता है, तो जो पूजा में बैठेगा वह ब्राह्मण के पैर धोता है और उसे बैठने के लिए एक साफ जगह देता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार बैठने के लिए विशेष दिशा-निर्देश हैं। उदाहरण के लिए, मातृ पक्ष ब्राह्मण उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे हैं जबकि देव पक्ष यानि ब्राह्मण पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे हैं।
READ ALSO : इंदिरा एकादशी का व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व