सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
कर सोलह श्रृंगार मुकुल-तन,
अलि संग केलि करेंगे।
सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
अँगशुची, उबटन तन वासित,
मज्जन-जल मकरन्द सुवासित।
अंजन नैन धार असि शोभा,
प्रणय-प्रणाम करेंगे।
सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
पीत वसन तन, माँग सुशोभित,
पांव महावर, केश विभूषित।
सज्जा भाल विन्दु बहुरंगी,
अथक श्रृंगार करेंगे।
सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
धनु भ्रू, शर-कन्दर्प तिलक ज्यों,
श्याम-उरग बहुवलय अलक यों।
चिबुक त्रिकाल विन्दु अनुरागी,
मेन्धी पाणि रचेंगे।
सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
मिस्सी उज्ज्वल रदन मनोहर,
वदन अरगजा, प्राण नशोहर।
लाली-अरुण कपोल सजाकर,
वेणी पुष्प गहेंगे।
सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
आनन-चन्द्र, अधर रतनारे,
कंठहार, बहु कंकण प्यारे।
वंदी अधर, अधर बेड़ी में,
नैना बात करेंगे।
सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
रत्नजड़ित बहुँटा, नथ, अंगद,
व्याकुल मन उत्सर्ग अनंगद।
निशा-कौमुदी आतुर हो दो,
कुंज प्रसून खिलेंगे।
सखी री!
प्रियतम आज मिलेंगे।
डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव
प्राचार्य, एस आर पी जी कालेज गजपुर बांसपार गोरखपुर।
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