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देश के वरिष्ठ वकीलों ने CJI को लिखा पत्र, कहा – खतरे में है न्यायपालिका, इसे राजनीतिक और व्यवसायिक दबाव से बचाना होगा

by Rakesh Pandey
Lawyers letter
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Lawyers letter : देश के जाने-माने 600 से ज्यादा वकीलों ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखी है । पत्र लिखने वालों में पूर्व सॉलिसिटर जनरल व वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे से लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा व अन्य शामिल हैं । वकीलों ने चिट्ठी में न्यापालिका की अखंडता पर खतरे को लेकर चिंता जताई है ।

इन वकीलों ने CJI को बताना चाहा है कि कुछ ‘खास समूह’ न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं और कोर्ट के फैसलों पर असर डाल रहे हैं। CJI को वकीलों का पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टिप्पणी की है कि “धमकाना कांग्रेस की संस्कृति, 50 साल पहले उन्होंने बेहतर न्यायपालिका की बात कही थी”

कौन-कौन वकील हैं शामिल (Lawyers letter)

मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ को 600 वकीलों ने पत्र लिखा है। इन वकीलों के हस्ताक्षर किया हुआ पत्र गुरुवार को CJI को प्राप्त हुआ है। CJI को पत्र भेजने वाले वकीलों में हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी जैसे प्रमुख वकील शामिल हैं। 600 से अधिक वकीलों ने न्यायपालिका को कमजोर करने के प्रयासों पर चिंता जतायी है।

पत्र में क्या कहा गया

पत्र में कहा गया है कि यह समूह राजनीतिक एजेडों के साथ आधारहीन आरोप लगा रहे हैं और न्यायपालिका की छवि के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे। इसमें कहा गया है कि न्यायपालिका खतरे में है और इसे राजनीतिक और व्यवसायिक दबाव से बचाना होगा ।

पत्र में लिखा है कि, ‘आपको (CJI चंद्रचूड़) पत्र लिखकर उस तरीके पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं जिस तरह से एक निहित स्वार्थ समूह न्यायपालिका पर दबाव डालने, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और तुच्छ तर्क के आधार पर राजनीतिक एजेंडे के तहत हमारी अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।
उनकी हरकतें विश्वास और सद्भाव के माहौल को खराब कर रही हैं, जो न्यायपालिका की कार्यप्रणाली की विशेषता है। उनकी दबाव की रणनीति राजनीतिक मामलों में सबसे अधिक स्पष्ट होती है, विशेषकर उन मामलों में जिनमें भ्रष्टाचार के आरोपी राजनीतिक हस्तियां शामिल होती हैं। ये रणनीतियां हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं।’

CJI चंद्रचूड़ को भेजे पत्र में कहा गया है कि ‘यह देखकर परेशानी होती है कि कुछ वकील दिन में किसी राजनेता का केस लड़ते हैं और रात में वो मीडिया में चले जाते हैं, ताकि फैसले को प्रभावित किया जा सके।’ ये बेंच फिक्सिंग की थ्योरी भी गढ़ रहे हैं। यह हरकत ना केवल हमारी अदालतों का असम्मान है, बल्कि मानहानि भी है। यह हमारी अदालतों की गरिमा पर किया गया हमला है।

पीएम ने दी प्रतिक्रिया

CJI डीवाई चंद्रचूड़ को 600 से ज्यादा वरिष्ठ वकीलों के लिखे पत्र पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘दूसरों को डराना धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। करीब 50 साल पहले उन्होंने बेहतर न्यायपालिका की बात कही थी।’ पीएम मोदी ने कहा कि वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं, लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।

बता दें, इस पत्र में वकीलों ने कहा ये रणनीतियां हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं।यह समूह विभिन्न तरीकों से कार्य करता है। वे कथित ‘बेहतर अतीत’ और ‘अदालतों के स्वर्णिम काल’ की झूठी कहानियां गढ़ते हैं और इसकी तुलना वर्तमान में हो रही घटनाओं से करते हैं।

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