Citizenship Amendment Act Case: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर केंद्र सरकार आज सुप्रीम कोर्ट (SC) में एफिडेविट दाखिल करेगी। कोर्ट ने 19 मार्च को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को 3 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। बेंच ने कहा था, केंद्र सरकार 8 अप्रैल तक एफिडेविट दाखिल करे। इस पर 9 अप्रैल को सुनवाई होनी है। बता दें कि सीएए के खिलाफ कुल 237 याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें से 20 में कानून पर रोक की मांग की गई है।
इस मामले की सुनवाई सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच कर रही है। इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। बता दें कि केंद्र ने 11 मार्च को सीएए का नोटिफिकेशन जारी किया था। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। ऐसे में इस कानून को रोकने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने याचिका लगाई है।
Citizenship Amendment Act Case: किसे मिलेगा लाभ
इस कानून के जरिए 31 दिसंबर 2014 तक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 हजार 313 गैर मुस्लिमों ने भारत में शरण ली है। यानी 31 हजार 313 लोग इस कानून के जरिए नागरिकता हासिल कर पाएंगे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से आए मतुआ समुदाय के हिंदू शरणार्थियों को भी नागरिकता दी जाएगी। इनकी आबादी भी करीब 3-4 करोड़ बताई जाती है। ये समुदाय बंगाल की 10 लोकसभा सीटों और विधानसभा की 50 सीटों पर सीधा प्रभाव रखता है।
Citizenship Amendment Act Case: CAA के तहत नागरिकता पाने के लिए क्या करना होगा
सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। उन्हें ये साबित करना होगा कि वे पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश के निवासी हैं। इसके लिए वहां के पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, मार्कशीट या वहां की सरकार से जारी पहचान का कोई प्रमाण पत्र पेश करना होगा।
नागरिकता के आवेदनों पर एक समिति फैसला लेगी। इस समिति में जनगणना निदेशक, IB, फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस, पोस्ट ऑफिस और राज्य सूचना अधिकारी शामिल होंगे। सबसे पहले आवेदन जिला कमेटी के पास जाएगा। फिर उसे एंपावर्ड कमेटी को भेजा जाएगा।
Citizenship Amendment Act Case: CAA का विरोध कौन कर रहा है और क्यों
2019 मे CAA पारित हुआ, जिसके बाद से इसका विरोध शुरू हो गया। जामिया मिलिया इस्लामिया से शाहीन बाग तक, लखनऊ से असम तक, हिंसक विरोध प्रदर्शन में कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ी। विरोध करने वालों में दो तरह के लोग थे।
पहला : असम समेत देश के पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश लोगों को ये आशंका है कि इस कानून के लागू होने के बाद उनके इलाके में प्रवासियों की तादाद बढ़ जाएगी। इससे पूर्वोत्तर राज्यों के कल्चर और भाषाई विविधता को नुकसान पहुंचेगा।
दूसरा : भारत के अन्य क्षेत्र के लोग CAA का विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसमें मुस्लिम शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है। इस कानून में तीनों देश से आए सभी 6 धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखा गया है।
विपक्ष का आरोप है कि इसमें खास तौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है। उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की बात करता है।
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