आनंद मिश्र, जमशेदपुर/Personnel Remained Spectators: सिदगोड़ा स्थित जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के मेन गेट पर एक छात्रा करीब 15-20 मिनट तक बेसुध हालत में तड़पती और छटपटाती रही, लेकिन कोई अधिकारी, शिक्षक या कर्मचारी उसकी सुध लेने तक नहीं आया। छात्रा की स्थिति देखकर राहगीर उसे सामान्य स्थिति में लाने का प्रयास करते रहे, बावजूद वहां गेट पर उपस्थित सुरक्षाकर्मी तमाशबीन बने रहे।
उपस्थित भीड़ के कहने के बावजूद सुरक्षाकर्मी मदद के लिए वहां से हिले तक नहीं। कैंपस के अंदर मौजूद किसी महिला सुरक्षाकर्मी को भी बुलाने तक की जहमत नहीं उठाई गई।
विश्वविद्यालय के गेट पर हुई इस घटना से कुलपति समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारी अनजान बनकर एसी कमरे में बैठे रहे, लेकिन बाहर छात्रा को देखने और प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराने के लिए कोई नहीं आया। छात्रा जमीन पर गिरकर धूप में छटपटाती रही।
छात्रा की स्थिति को देखते हुए वहां भीड़ में शामिल कुछ लोगों का कहना था कि उसे मिर्गी का दौरा पड़ा है। बार-बार कहने के बावजूद वहां उपस्थित किसी भी सुरक्षाकर्मी ने मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। थोड़ी देर बाद छात्रा की स्थिति कुछ ठीक हुई। बावजूद बार-बार वह बेसुध हो जा रही थी। इसे लेकर वहां उपस्थित बाहरी लोगों में आक्रोश देखा गया। उनका कहना था कि यहां किसी छात्रा की तबीयत खराब हो जाए, उसे देखने या पूछने वाला कोई नहीं है।
इस बीच छात्रा के पिता वहां पहुंचे। उसके बाद एक महिला सुरक्षाकर्मी को बुलाया गया और उसके सहयोग से छात्रा को विश्वविद्यालय के रिसेप्शन हॉल में ले जाया गया। वहां भी वह चीख-चिल्ला रही थी। उसकी आवाज कुलपति के कार्यालय कक्ष तक पहुंच रही थी, लेकिन उसे देखने कोई नहीं आया। छात्रा के पिता का कहना था कि सुबह वह बिना कुछ खाये ही घर से यूनिवर्सिटी आ गई थी।
उसे परीक्षा विभाग में कुछ काम था। मौके पर मौजूद “द फोटोन न्यूज़” के संवाददाता ने यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को मदद के लिए कहा, तब कहीं वे रिसेप्शन हॉल में पहुंचे। उसके बाद ऑटो बुलाया कर छात्रा के पिता उसे इलाज के लिए ले गए।
छात्रा के पिता ने बताया कि बेटी ने फोन करके बताया था कि उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है। सिर चक्कर दे रहा है। इसलिए वह यूनिवर्सिटी के गेट पर बैठी है। उसका फोन आने पर वे यूनिवर्सिटी पहुंच गए। वहीं यूनिवर्सिटी गेट पर जमे लोगों का कहना था कि यहां के सुरक्षाकर्मियों को सिर्फ दिखावे के लिए तैनात किया गया है।
यदि वे कुछ नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें कम से कम विश्वविद्यालय प्रशासन को जानकारी देनी चाहिए। यदि यही स्थिति रही तो कभी किसी छात्रा की जान भी जा सकती है। इस दौरान लोगों ने सुरक्षाकर्मियों को काफी खरी-खोटी भी सुनाई।
कोट
मैं जब यूनिवर्सिटी पहुंचा तो किसी ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। – राजेंद्र जायसवाल, कुलसचिव, जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी
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