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Tata Steel Supervisor : अपने ऑफिस में ही फांसी लगाकर टाटा स्टील के सुपरवाइजर ने दे दी जान, जाने क्या है कारण

by Rakesh Pandey
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जमशेदपुर : Tata Steel Supervisor commits Suicide : सुबह से सबकुछ रोज की तरह ही था। कर्मचारी समय पर कार्यालय पहुंचे, अपने काम में लगे रहे। दोपहर हुई तो लंच के लिए साथी कर्मचारी बाहर निकल गए। उसी समय यह हादसा हो गया। टाटा कंपनी में सुपरवाइजर पद पर कार्यरत 57 वर्षीय ओम प्रकाश ने फांसी के फंदे से झूलकर अपनी जांच दे दी। जब साथी कर्मचारी लौटकर आए तो कार्यालय में ओमप्रकाश को लटका देख सन्न रह गए।

  Tata Steel Supervisor commits Suicide : कई दिनों से तनाव में थे ओम प्रकाश

सूत्रों की माने तो ओम प्रकाश कई दिनों से काम के दबाव में चल रहे थे। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो रही है। गढ़हाबासा के लाइन नंबर 4 के निवासी ओम प्रकाश स्टील निर्माता कंपनी टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई, टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड के हेल्थ विभाग में सुपरवाइजर के पद पर काम कर रहे थे। उनका कार्यालय जमशेदपुर के गोलमुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत एबीएम कालेज के समीप है।

Tata Steel Supervisor commits Suicide :   पुलिस को मिला सुसाइड नोट

बुधवार दोपहर में लंच का समय समाप्त होने के बाद जब सभी कर्मचारी वापस कार्यालय आए तो ओम प्रकाश को उनके केबिन में रस्सी के फंदे से लटका हुआ पाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ओम प्रकाश के केबिन से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला है। हालांकि इस सुसाइड नोट में क्या लिखा है, इस बारे में पुलिस कुछ बता नहीं रही है। पुलिस का कहना है कि मामला जांच का है। जांच होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

तीन साल बची थी नौकरी, हैरत में साथी कर्मचारी
ओम प्रकाश की उम्र करीब 57 साल थी और तीन साल बाद कंपनी से वह सेवानिवृत्त होने वाले थे। ऐसे में आखिर उन्होंने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया, यह अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से उतारा। आवश्यक जांच-पड़ताल और पूछताछ के बाद शव एंबुलेंस में रखकर टीएमएच ले जाया गया।

खुशमिजाज रहते थे ओम प्रकाश

साथ काम करनेवाले कर्मचारी बताते हैं कि ओम प्रकाश काफी हममुख इंसान थे और हमेशा अपने साथियों के साथ हंसी मजाक करते रहते थे। खुशमिजाज रहते थे। हाल के दिनों में अक्सर अपने साथी कर्मचारियों से कहते थे कि अब काम में मजा नहीं आता। दबाव बहुत ज्यादा है। इसलिए अब कंपनी की ओर से अगर अर्ली सपरेशन स्कीम (ईएसएस) की व्यवस्था की जा तो वे ईएसएस ले लेंगे। हालांकि उनकी मौत का असली कारण क्या था इसके बारे में साथी कर्मचारी भी कुछ बता नहीं पा रहे हैं। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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