फीचर डेस्क : Nag Panchami 2024 : हिंदू धर्म में सावन महीने को बहुत ही पवित्र माना गया है और इस महीने में आने वाले सभी व्रत और त्योहारों को भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह भगवान शिव का प्रिय महीना भी है, इसलिए इस पूरे महीने उनसे जुड़े कई पर्व और व्रत भी आते हैं। वहीं भोलेनाथ के गले का श्रृंगार कहे जाने वाले नाग देवता की पूजा भी इसी महीने में होती है। इसे नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है और सिर्फ भारत ही नहीं नेपाल और हिंदू आबादी वाले अन्य दक्षिण एशियाई देशों में लोग इस पर्व को मनाते हैं। भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं नाग पंचमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
इस वर्ष नाग पंचमी आज यानी 9 अगस्त 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और साथ ही नाग देवता को दूध से स्नान कराकर विधि-विधान से पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि नाग देवता की पूजा से आपको कभी कालसर्प दोष का सामना नहीं करना पड़ता। यहां तक कि पितृदोष से मुक्ति भी इस पूजा से मिल जाती है।
Nag Panchami 2024 : क्या है नाग पंचमी की तिथि
नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और इस तिथि का आरंभ 9 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजकर 36 मिनट से होगा और इसका समापन 10 अगस्त सुबह 3 बजकर 14 मिनट पर होगा। वहीं पूजा का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से 8 बजकर 27 मिनट के बीच है।
Nag Panchami 2024 : क्या है नाग पंचमी का महत्व
यह दिन नाग देवता के लिए समर्पित है। पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत में राजा जनमेजय ने अपने पिता का बदला लेने के लिए एक यज्ञ आरंभ किया था। वहीं ये यज्ञ सांपों के अस्तित्व को मिटाने के लिए किया गया था। इस दौरान ऋषि आस्तिक ने इस यज्ञ को रोका और सांपों को बचाया। यह दिन सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन था और तब से ही नाग पंचमी के रूप में इसे मनाया जाने लगा। इस दिन लोग मंदिर जाते हैं और नाग देवता की पूजा करते हैं। उन्हें दूध, चावल, फूल और मिठाई आदि अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा से नागदेव के साथ भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
वहीं नाग पंचमी के दिन भगवान शिव को चंदन अर्पित करना भी बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन भोलेनाथ को चंदन अर्पित करें और इसके बाद स्वयं का भी चंदन से तिलक करें। इसके साथ ही इस दिन सुबह और शाम दोनों समय घर में कपूर जलाएं और श्रीमद भगवद पुराण और श्री हरिवंश पुराण का पाठ करें। वहीं मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।