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महिला डॉक्टर को लेकर आईएमए का सर्वे, देश की 35% महिला डॉक्टर नहीं करना चाहती नाइट शिफ्ट

by Rakesh Pandey
IMA On Doctors Safety
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सेंट्रल डेस्क : IMA On Doctors Safety : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की एक स्टडी से पता चला है कि एक-तिहाई डॉक्टर नाइट ड्यूटी में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा महिलाएं थी। कई महिलाओं ने तो यह तक बताया कि उन्हें ड्यूटी में जाने के लिए भी अपने साथ छोटे-मोटे हथियार या पेपर स्प्रे रखना पड़ता है। वहीं कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की नाइट शिफ्ट के दौरान हत्या और बलात्कार मामले के बाद देश भर के लोगों में रोष है। बंगाल में लोग इस घटना के बाद से ही सड़कों पर उतर आए हैं। इस बीच ये ऑनलाइन सर्वे किया गया। इसमें ये भी पता चला कि नाइट ड्यूटी के दौरान 45 प्रतिशत लोगों के पास ड्यूटी रूम उपलब्ध नहीं था।

IMA On Doctors Safety : सर्वे में कौन-कौन शामिल?

स्टडी में 22 से ज्यादा राज्यों से डॉक्टर थे, जिनमें से 85 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के थे, जबकि 61 प्रतिशत ट्रेनी या ग्रेजुएट ट्रेनी थे। इसमें महिलाएं 63 प्रतिशत थी। स्टडी से पता चलता है कि कई डॉक्टर रात की शिफ्ट में असुरक्षित महसूस करते हैं। 20-30 साल के डॉक्टरों में सुरक्षा की भावना सबसे कम थी और इस समूह में बड़े पैमाने पर ट्रेनी डॉक्टर थे।

IMA On Doctors Safety : सुरक्षा बढ़ाने का सुझाव

इसमें सुरक्षा बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया। सीसीटीवी कैमरे लगाना, उचित रोशनी सुनिश्चित करना, केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम को लागू करना, आने-जाने वाले लोगों की संख्या को सीमित करना, अलार्म सिस्टम स्थापित करना और ताले के साथ सुरक्षित ड्यूटी रूम जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना शामिल है।

IMA On Doctors Safety : सर्वे में क्या-क्या आया सामने

डॉ. जयदेवन ने कहा की सर्वे से अभी तक जो बात निकलकर आई है, उसमें सुरक्षा बढ़ाने के लिए सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाना, सीसीटीवी कैमरे लगाना, केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम को लागू करना, विजिटर्स की संख्या को सीमित करना, अलार्म सिस्टम लगाना और ताले वाले सुरक्षित ड्यूटी रूम जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।

वहीं सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा की व्यवस्था में सुधार के लिए हम और एक रेप का इंतजार नहीं कर सकते। साथ ही अदालत ने मेडिकल प्रोफेशनल्स की सेफ्टी के लिए 14 मेंबर्स की नेशनल टास्क फोर्स बनाई है, इसमें 9 डॉक्टर्स और केंद्र सरकार के 5 अधिकारी शामिल हैं। टास्क फोर्स मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा, वर्किंग कंडीशन और उनकी बेहतरी के उपायों की सिफारिश करेगी।

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