नई दिल्ली : हिंदू धर्म में 17 सितंबर एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस दिन दिव्य निर्माता भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को हम ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में जानते हैं और वे सृष्टि के सबसे पहले महान शिल्पकार और वास्तुकार थे। उन्होंने ब्रह्मदेव की आज्ञा से सृष्टि की रचना में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनका नाम सबसे पहले ऋग्वेद में आता है और उन्हें वास्तुकला के देव का श्रेय दिया जाता है।
क्यों मनाते हैं विश्वकर्मा पूजा
प्रथम वास्तुकार, शिल्पकार और इंजीनियर की पूजा और नमन करने के लिए हम 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा करते हैं। प्रचलित कहानियों की मानें, तो ब्रह्मा जी के सांतवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म 17 सितंबर को हुआ था। विश्वकर्मा को यंत्रों का देवता भी माना गया है। इस दिन लोग अपने घर में, कारखाने में लगी मशीन और औजारों की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग विश्वकर्मा जी की पूजा करते हैं, उनकी मशीनें खराब नहीं होती हैं। इस दिन वाहन पूजा का भी विधान है। कहा जाता है कि देव शिल्पी विश्वकर्मा की पूजा करने से वाहन खराब नहीं होते।
कब करें विश्वकर्मा पूजा : शुभ मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा की बात करें तो भाद्रपद महीने में सूर्य जब कन्या राशि से निकलते हैं और सिंह राशि में प्रवेश कर करते हैं, तो ऐसे में विश्वकर्मा पूजा की जाती है। साल 2024 की बात करें तो इस साल सूर्य, 16 सितंबर को शाम को 7 बजकर 29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर के दिन मनाई जाएगी।
पूजा के शुभ मुहूर्त
भद्रा काल लगने की वजह से इस साल विश्वकर्मा पूजा के लिए सीमित समय सीमा रहेगी। दोपहर को भद्रा काल लग रहा है। कहा जाता है कि भद्राकाल के दौरान पूजा नहीं करनी चाहिए। इससे नकारात्मकता बढ़ती है। 17 सितंबर को आप सुबह 6 बजकर 7 मिनट से लेकर 11 बजकर 43 मिनट तक विश्वकर्मा पूजा कर सकते हैं। तो इस लिहाज से साल 2024 में विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त कुल 5 घंटे 36 मिनट का होगा। इसी दौरान ईश्वर की पूजा का लाभ प्राप्त होगा।
पूजन की विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन सृष्टि के निर्माता व शिल्पकार देवशिल्पी विश्वकर्मा की पूजा लोग अपने घरों और कारखानों में श्रद्धापूर्वक करते हैं। इस दिन को शुभ बनाने के लिए लोग अपनी मशीनों की साफ-सफाई करते हैं। स्नान के बाद, विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति या चित्र को सजाया जाता है।
उन पर अक्षत, फूल, रोली, मिठाई आदि को अर्पित किया जाता है। अगर आप चाहें, तो आप अपनी मशीनों और वाहनों को कलावे से सजा भी सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन अच्छे से पूजा करने पर व्यापार में वृद्धि होती है। चूंकि भगवान विश्वकर्मा सारे जगत के रचयिता हैं और उन्होंने ही सभी के लिए आजीविका के साधन बनाये हैं, इसलिए लोग भगवान विश्वकर्मा से उनकी आजीविका सुरक्षित रखने के लिए प्रार्थना करते हैं।
कहां-कहां लोग मानते हैं विश्वकर्मा पूजा
विश्वकर्मा पूजा मुख्य रूप से भारत के पूर्वी हिस्सों पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, बिहार, त्रिपुरा में मनाई जाती है। विश्वकर्मा पूजा न केवल देश में, बल्कि विदेश में भी मनाई जाती है।
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