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Ritika Tirkey : पहली आदिवासी सहायक Loco Pilot बनी रितिका तिर्की, वंदे भारत को चलाना रहा यादगार

रेलवे की सहायक लोको पायलट रितिका तिर्की का मानना है कि भारत की महिलाएं यदि मेहनत करें, तो सबकुछ पा सकती हैं। अपनी खुशी जाहिर करते हुए रितिका ने बताया कि उन्हें इस बात की काफी खुशी है कि उन्होंने अपने पेशे के लिए रेलवे को चुना।

by Rakesh Pandey
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रांची : पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को रांची एयरपोर्ट से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 6 वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दी। टाटा-पटना वंदे भारत चलाने की जिम्मेदारी लोको पायलट एसएस मुंडा और सह लोको पायलट रितिका तिर्की को मिली थी। यह पहला मौका था जब कोई आदिवासी महिला वंदे भारत ट्रेन चलाने जा रही थी। 27 वर्षीय रितिका को टाटा-पटना वंदे भारत ट्रेन को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया। यह उनके लिए एक यादगार अनुभव भी रहा।

बीआईटी मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियर है रितिका तिर्की

वंदे भारत के शुभारंभ के बाद शाम को मीडिया से बातचीत के दौरान रितिका ने बताया कि उन्होंने बीआईटी मेसरा से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उनका मानना है कि भारत की महिलाएं यदि मेहनत करें, तो सबकुछ पा सकती हैं। इस अवसर पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए रितिका ने बताया कि उन्होंने अपने पेशे के रूप में रेलवे को चुना।

चक्रधरपुर डिवीजन में शंटिंग से वंदे भारत की लोको पायलट

रितिका इससे पहले 2019 असिस्टेंट लोको पायलट और 2024 में सीनियर लोको पायलट बनी थीं। इसके बाद बाद उन्हें पहले माल और फिर यात्री ट्रेनों को चलाने का अवसर मिला। इसके बाद पदोन्नति होने पर वरिष्ठ सहायक लोको पायलट के तौर पर वंदे भारत में अपनी सेवाएं देंगी। आगे वो कहती है कि यदि रेलवे में और अधिक महिलाएं अपना करियर बनाती है, तो मुझे बेहद खुशी होगी।

महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण

जब मैंने रेलवे ज्वाइन करने का निर्णय लिया, तभी मुझे एक अलग उत्साह महसूस हुआ। रितिका स्थायी तौर पर गुमला, रांची से है, लेकिन फिलहाल अपने पति के साथ जमशेदपुर में रहती है। यह महिला सशक्तिकरण एक सशक्त उदाहरण है। मुख्य परिचालन प्रबंधक दीपक झा ने कहा कि इससे आदिवासी समुदाय की महिलाओं के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी रेलवे में करियर बनाने की प्रेरणा मिलेगी।

क्या कहा आद्रा के सीनियर डीसीएम ने

आद्रा डिवीजन के सीनियर डीसीएम विकास कुमार का कहना है कि ये सब भारत सरकार की नीतियों के कारण ही मुमकिन हो पाया है। रितिका का कहना है कि अन्य ट्रेनों के मुकाबले वंदे भारत में स्टाफ से लेकर यात्रियों तक के लिए बेहतर सुविधाएं दी गई है। इस ट्रेन की स्पीड 160 किमी/घंटे है, जब कि पटरियों पर यह 130 किमी/घंटे की रफ्तार से चलती है।

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