अपनी फिल्मी दुनिया के सफर के दौरान 1977 की फ़िल्म किनारा में गुलज़ार के गीत “नाम गुम जाएगा” की एक पंक्ति “मेरी आवाज़ ही पहचान है” लता मंगेशकर की आवाज़ की खूबसूरती बयां करती है। आठ दशकों से अधिक के शानदार करियर में, लता मंगेशकर ने 36 से अधिक भारतीय भाषाओं में हज़ारों गाने रिकॉर्ड किए। आज उस महान गायिका का जन्मदिन है। लता मंगेशकर की 94वीं जयंती के अवसर पर, हम जानेंगे उनके बारे में कुछ खास बातें।
लता ने 10 घंटे खड़े होकर गाया था ‘लुक्का छुपी’
लता जी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था की फिल्म ” रंग दे बसंती” जो की 2006 में बनाई गई थी उसमें एक गाना “लुक्का छुपी” को रिकॉर्ड करने के दौरान बहुत सारी गलतियां हो रही थी और गाना सही से रिकॉर्ड नहीं हो पा रहा था, बहुत कोशिशें के बाद और लगभग 8 से 10 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद यह गाना सफल तरीके से रिकॉर्ड हुआ और 10 घंटे तक वह खड़ी थी। वो कहती हैं, “आम तौर पर ऐसा होता है कि जब आप किसी खास शब्द को किसी खास तरीके से गाना चाहते हैं, तो गायक उस शब्द को दोबारा गाते हैं, लेकिन वह पूरा पैरा गाती है- सभी चार लाइनें या छह लाइनें।”
चाचा नेहरू को रुला दिया था इनके गाने ने
लता जी के गाने न सिर्फ सुनने में प्यारे होते हैं बल्कि यह आपके इमोशंस को भी छू जाते हैं। इसे आप समझिए एक उदाहरण से जो कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का है, जो उनके द्वारा गाए गए गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो” को सुनकर भावुक हो गए थे। यह प्रस्तुति 1963 में गणतंत्र दिवस पर हुई थी, भारत-चीन युद्ध के कुछ ही महीने बाद, जिसमें कई भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी। वह बताती हैं, ” जब मैंने गाना खत्म किया और अंदर आई, तो हमारे निर्देशक महबूब खान मुझे ढूंढते हुए आए, जब उन्होंने मुझे देखा, तो उन्होंने कहा, ‘चलो, प्रधानमंत्री तुम्हें बुला रहे हैं।’ मैं दंग रह गई। मैंने सोचा, ‘क्यों?’ और उन्होंने मुझे वहां से खींच लिया और प्रधानमंत्री के सामने खड़ा कर दिया। जब उन्होंने मुझे देखा, तो उन्होंने कहा, ‘बेटा, तुमने आज मुझे रुला दिया।’ यह कहने के बाद, वे चले गए। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी।”
बता दें लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, भारत में हुआ था। उन्होंने 1942 में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और अपना पहला गाना गाया लेकिन वो कभी रिलीज नहीं हुआ। इस गाने का नाम था ” नाचू या गदे, खेलु सारी मनि हौस भारी” यह एक मराठी गाना था।