एंटरटेनमेंट डेस्क: पिछले कुछ समय से अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय के रिश्ते में खटास की खबरें सामने आ रही हैं। अफवाहें ये भी हैं कि दोनों अलग रह रहे हैं, लेकिन शायद ही तलाक लेंगे। इसी बीच, सोशल मीडिया पर अभिषेक ने एक पोस्ट को लाइक किया था, जो तलाक की चुनौतियों और ‘ग्रे डिवोर्स’ के बढ़ते रुझानों के बारे में था।
इस पर सवाल उठता है कि अगर कपल अलग हो चुका हो और तलाक नहीं लेने का फैसला करते हैं, तो उनके सामने तीसरा रास्ता क्या बचता है? जवाब है – ग्रे डिवोर्स। आज रिश्तों के मामलों में ये टर्म चर्चा में है, तो आइए विस्तार से समझें कि आखिर ग्रे डिवोर्स क्या है और क्यों लंबी शादियों के बावजूद जोड़े इस राह पर जा रहे हैं।
क्या है ग्रे डिवोर्स?
ग्रे डिवोर्स या सिल्वर स्प्लिटर ऐसे कपल्स के अलगाव को कहते हैं, जो कई साल साथ बिताने के बाद, आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक की उम्र में, अलग हो जाते हैं। ये टर्म 2000 के दशक के बाद से आम हो गया है और इसे मुख्य रूप से उन कपल्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिन्होंने एक लंबी शादी का सफर तय किया हो। ऐसे कपल्स 20, 30 या 40 साल तक साथ रह चुके होते हैं, और जीवन के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर आकर अलगाव का निर्णय लेते हैं।
प्यू रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दो दशकों में अमेरिका में 50+ उम्र के तलाक के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है, और 65 से अधिक आयु वाले तलाक के मामलों में तीन गुना वृद्धि हुई है। भारत में भी यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है और खासतौर पर उन कपल्स के बीच जो अब अपने जीवन के नए लक्ष्यों और सपनों को नया आयाम देना चाहते हैं।
सालों की शादी के बाद अलगाव के कारण
मनोवैज्ञानिक शिवानी मिश्री साधू के अनुसार ग्रे डिवोर्स के पीछे कई कारण होते हैं:
- एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम: बच्चों के घर छोड़ने के बाद कपल्स को अहसास होता है कि उनके बीच साझा उद्देश्य नहीं बचे हैं।
- रिटायरमेंट: एक-दूसरे की उम्मीदों में अंतर स्पष्ट होने लगता है।
- बढ़ती लाइफ एक्सपेक्टेंसी: लोग अब अधिक समय तक जीवित रहते हैं, और कई लोग व्यक्तिगत संतोष के लिए नए रास्ते तलाशते हैं।
- फाइनेंशियल फ्रीडम: महिलाएं आज अधिक आत्मनिर्भर हैं, जिससे असंतोषजनक विवाह से बाहर निकलना आसान हुआ है।
- बदलते सामाजिक दृष्टिकोण: समाज में तलाक की स्वीकृति बढ़ रही है, जिससे वृद्ध कपल्स के लिए भी यह एक विकल्प बन रहा है।
क्या लगते हैं कोर्ट-कचहरी के चक्कर?
ग्रे डिवोर्स की प्रक्रिया में आमतौर पर संपत्तियों का विभाजन, रिटायरमेंट फंड का बंटवारा, स्वास्थ्य बीमा की जटिलताएं और इमोशनल अड़जस्टमेंट्स शामिल होते हैं। कपल्स को कानूनी दस्तावेज जैसे वसीयत, बेनेफिशियरी नाम, और पावर ऑफ अटॉर्नी को फिर से स्थापित करने की जरूरत होती है। हालांकि तलाक किसी भी उम्र में मुश्किल है, लेकिन इस उम्र में नए सामाजिक रिश्तों की जरूरत और आर्थिक आत्मनिर्भरता का मुद्दा भी सामने आता है, जिससे प्रोसेस थोड़ा और पेचीदा हो जाता है।
अब समझें क्या है इसके साइड इफेक्ट
बुढ़ापे में तलाक लेना आसान नहीं होता, इसमें कई चुनौतियां और विचारणीय बातें होती हैं।
- फाइनेंसियल इंपैक्ट: संपत्तियों और विशेष रूप से रिटायरमेंट फंड को डिवाइड करना बहुत जटिल हो सकता है, जिससे दोनों की फाइनेंसियल स्टेटस पर असर पड़ता है। साथ ही गुजारा भत्ता का सवाल भी उठता है।
- स्वास्थ्य देखभाल: वृद्धावस्था में स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतें अधिक होती हैं, और तलाक से बीमा और देखभाल की जिम्मेदारियों का बंटवारा और कठिन हो सकता है।
- इमोशनल इंपैक्ट: तलाक किसी भी उम्र में भावनात्मक रूप से कठिन होता है, और दशकों के साथ के बाद यह और भी कठिन हो जाता है। एडल्ट बच्चों पर भी इसका असर हो सकता है, जो परिवार की स्थिरता खोने का एहसास कर सकते हैं।
- सामाजिक परिवर्तन: तलाक के बाद समाज में आपके समुदाय में बदलाव आता है, जिससे कभी-कभी लोग पक्ष लेने लगते हैं या नए सिंगल को लेकर अजीब महसूस करने लगते हैं। इससे अकेलापन बढ़ सकता है और नए सामाजिक संबंध बनाने की आवश्यकता होती है।
- जीवनशैली में बदलाव: पुराने घर को छोड़कर नई जगह बसना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, और उम्रदराज व्यक्ति के लिए अकेले जीवन की नई व्यवस्था में ढलना कठिन हो सकता है।
- कानूनी विचार: इस उम्र में तलाक कई कानूनी पहलुओं के साथ आता है, जैसे वसीयत को दोबारा बदलना, लाभार्थियों के नाम में बदलाव, और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
ग्रे डिवोर्स में इन सेलेब्स का नाम
आजकल कई सेलिब्रिटी कपल्स भी इस राह पर चलते नजर आते हैं। उर्मिला मातोंडकर और मोहसिन मीर, सैफ अली खान और अमृता सिंह, अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा, सानिया मिर्जा और शोएब मलिक, ऋतिक रोशन और सुजैन खान, और आमिर खान और किरण राव जैसे कपल्स ने भी लंबी शादी के बाद अपने रास्ते अलग किए हैं।
यह ट्रेंड अब सिर्फ सेलेब्स तक सीमित नहीं है, बल्कि सामान्य कपल्स में भी बढ़ता जा रहा है। चाहे यह व्यक्तिगत संतोष की खोज हो, नई जिंदगी की उम्मीद या बदलते सामाजिक मानदंड—ग्रे डिवोर्स आज के समाज की नई वास्तविकता बनता जा रहा है, जिसमें लंबी शादियां भी एक नए मोड़ पर जा सकती हैं।