बिजनेस डेस्क : दिवाली का पर्व भारतीय संस्कृति में समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है, लेकिन इस साल का पर्व कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है। भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है। लगभग 40 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होना, एक गंभीर संकेत है। आइए, इस स्थिति की असली वजहों पर गौर करते हैं।
शेयर बाजार की स्थिति
भारत का शेयर बाजार जो कभी तेजी से उभरता हुआ नजर आता था, अब मंझधार में फंसा दिख रहा है। पिछले कुछ महीनों में सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख इंडेक्स में लगातार गिरावट आई है। निवेशकों की धड़कनें बढ़ गई हैं, खासकर जब दिवाली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार से पहले बाजार का यह हाल है।
असली वजहें
- वैश्विक आर्थिक मंदी
एक प्रमुख कारण वैश्विक आर्थिक मंदी है। अमेरिका, यूरोप और चीन जैसे बड़े बाजारों में आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है। इससे भारतीय शेयर बाजार पर दबाव पड़ा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयरों से पैसे निकाले हैं, जिसके कारण बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है।
- महंगाई और ब्याज दरें
महंगाई दरों में वृद्धि और ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी एक महत्वपूर्ण कारक है। रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाने के फैसले ने उपभोक्ता खर्च को प्रभावित किया है। जब महंगाई बढ़ती है, तो आम लोगों की खरीदारी की शक्ति कम हो जाती है, जिससे कंपनियों के लाभ पर असर पड़ता है। यह स्थिति शेयर बाजार के लिए नकारात्मक साबित होती है।
- राजनीतिक अस्थिरता
राजनीतिक अस्थिरता भी बाजार पर असर डालती है। चुनावों के नतीजों और राजनीतिक निर्णयों का सीधा प्रभाव शेयर बाजार पर पड़ता है। जब निवेशकों को लगता है कि राजनीतिक स्थिति अस्थिर है, तो वे अपने निवेश को कम करने लगते हैं, जिससे बाजार में गिरावट आती है।
- कंपनियों के वित्तीय परिणाम
हालिया तिमाही के वित्तीय परिणाम भी निराशाजनक रहे हैं। कई बड़ी कंपनियों ने उम्मीद से कम लाभ की घोषणा की है, जो निवेशकों के विश्वास को कमजोर कर रहा है। जब कंपनियों के परिणाम उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते, तो निवेशकों का बाजार से बाहर निकलना स्वाभाविक है।
निवेशकों की प्रतिक्रिया
निवेशकों की प्रतिक्रिया भी बाजार की गिरावट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब लोग डरते हैं, तो वे अपने शेयर बेचने लगते हैं, जिससे बाजार में और गिरावट आती है। इस बार, निवेशकों में चिंता का माहौल है, और वे अपनी पूंजी की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
निवारण के उपाय
जानकारों का मानना है कि इस कठिन समय से उबरने के लिए, सरकार और बाजार नियामकों को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। आर्थिक नीतियों में सुधार, वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना और निवेशकों के विश्वास को पुनर्स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे।
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