Home » ASEAN Summit : संघर्षों के समाधान के लिए बौद्ध सिद्धांतों को अपनाना जरूरी : राजनाथ सिंह

ASEAN Summit : संघर्षों के समाधान के लिए बौद्ध सिद्धांतों को अपनाना जरूरी : राजनाथ सिंह

by Anand Mishra
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को लाओस में आयोजित क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन में कहा कि वैश्विक संघर्षों और चुनौतियों के समाधान के लिए बौद्ध सिद्धांतों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। उनका कहना था कि दुनिया को वर्तमान अंतरराष्ट्रीय संकटों से उबरने के लिए शांति और सह-अस्तित्व के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए।

भारत ने हमेशा संवाद का पक्ष लिया है

राजनाथ सिंह ने विएंटियान में दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान और इसके वार्ता साझेदार देशों के सम्मेलन में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “भारत ने हमेशा से जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के समाधान के लिए संवाद की वकालत की है। चाहे सीमा विवाद हों या व्यापार समझौते, भारत ने हमेशा चर्चा और समझौते के माध्यम से समाधान खोजने की कोशिश की है।”

शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का महत्व

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि “दुनिया तेजी से गुटों और शिविरों में बंटती जा रही है, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में अब समय आ गया है कि हम शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांतों को गहराई से अपनाएं।” उन्होंने भारत के दृष्टिकोण को उजागर करते हुए बताया कि इन सिद्धांतों के आधार पर ही भारत ने हमेशा बातचीत और संवाद के माध्यम से वैश्विक मुद्दों का समाधान किया है।

खुले संवाद से स्थिरता की ओर

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का विश्वास है कि खुले संवाद से विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा मिलता है, और यही स्थिर साझेदारी की नींव रखता है। उन्होंने जोर दिया, “बातचीत की शक्ति हमेशा प्रभावी रही है, जिससे ठोस परिणाम सामने आए हैं जो वैश्विक मंच पर स्थिरता और सद्भाव में योगदान करते हैं।”

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का दृष्टिकोण

हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में सिंह ने कहा कि भारत ने हमेशा नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, वैध वाणिज्य की बेरोकटोकता और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन का समर्थन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता पर भारत यह चाहता है कि ऐसा कोई भी समझौता उन देशों के अधिकारों और हितों को नुकसान न पहुंचाए, जो इस पर बातचीत का हिस्सा नहीं हैं।

दक्षिण चीन सागर पर टिप्पणी

रक्षा मंत्री ने कहा, “दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता पर जारी चर्चाओं में भारत यह चाहता है कि यह संहिता पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून (1982) के अनुरूप हो।” उनकी यह टिप्पणी उस समय आई है जब चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर विभिन्न देशों द्वारा इस क्षेत्र में आचार संहिता की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।

Related Articles