Home » महाराष्ट्र चुनाव में सबसे कम मतदान, आखिर क्यों नहीं जाती मुंबई की जनता वोट करने

महाराष्ट्र चुनाव में सबसे कम मतदान, आखिर क्यों नहीं जाती मुंबई की जनता वोट करने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुंबई की जनता एक बार फिर वोटिंग के लिए नहीं पहुंची। जबकि चुनाव आयोग ने लोगों को उनके मतदान केंद्रों से अवगत कराने के लिए 'अपने मतदान केंद्र को जानें' जैसे मतदाता जागरूकता अभियान भी आयोजित किए।

by Reeta Rai Sagar
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

मुंबई। Mumbai जैसी महानगरी में आम जनता का मतदान के प्रति उदासीन रवैया उनकी गैर जिम्मेदारी को दर्शाता है। 20 नवंबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुंबई की जनता एक बार फिर वोटिंग के लिए नहीं पहुंची। आंकड़ों के अनुसार, मुंबई शहर में 49.07 प्रतिशत और मुंबई उपनगर में 51.92 प्रतिशत का मतदान हुआ।

घर से नहीं निकले आधे मतदाता
आखिर ऐसा क्यों होता है। चुनाव आयोग ने बुधवार की रात 8 बजे अस्थायी आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार, महाराष्ट्र में 58.41 प्रतिशत मतदान दर्ज किए गए और इसमें मुंबई की ओर से एक बार फिर से निराशाजनक उपस्थिति दर्ज की गई। बीते दो विधानसभा चुनावों में, महाराष्ट्र की राजधानी में मतदान मुश्किल से 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर पाया था। 2019 के चुनावों में, मुंबई में 50.67 प्रतिशत मतदान हुआ, जब कि 2014 में आंकड़ा 51.21 प्रतिशत का था।

लेकिन क्या वजह है कि आम जनता वोट देने के लिए बाहर नहीं निकलती। मुंबई में करीब 1.02 करोड़ मतदाता है। इनमें से 54.67 लाख पुरुष, 47.62 लाख महिलाएं और 1082 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। मुंबई शहर में कोलाबा और मुंबादेवी विधानसभा क्षेत्रों में क्रमशः 41.64 प्रतिशत और 46.10 प्रतिशत मतदान हुआ।

चांदीवली व वर्सोवा में हुआ सबसे कम मतदान
मुंबई उपनगरीय, चांदीवली और वर्सोवा में सबसे कम क्रमश: 47.05 प्रतिशत और 47.45 प्रतिशत मतदान हुआ। मानखुर्द शिवाजी नगर में 47.46 प्रतिशत मतदान हुआ, जो जिले में तीसरा सबसे गरीब क्षेत्र कहा जाता है। इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनावों के दौरान, मुंबई में मतदान 52.4 प्रतिशत दर्ज की गई, जो कि 2019 के चुनावों के 55.4 प्रतिशत वोटिंग से तीन प्रतिशत कम थी।

मुंबई में मतदान को प्रोत्साहित करने के प्रयास
मुंबई के खराब मतदान के रिकॉर्ड को देखते हुए, चुनाव आयोग ने मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने के लिए भी कई उपाय किए। रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई जिला निर्वाचन अधिकारी ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की सीमा के भीतर आने वाले प्रतिष्ठानों, व्यवसायों और अन्य नियोक्ताओं से आग्रह किया था कि वे अपने कर्मचारियों को बुधवार (20 नवंबर) को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए भुगतान अवकाश (पेड़ लीव) की पेशकश करें।

‘अपने मतदान केंद्र को जानें’ सरीखे जागरूकता अभियान
मतदान केंद्रों पर पीने के पानी, कतारों में लोगों के बैठने की व्यवस्था, प्रतीक्षालय, पंखे, शौचालय और व्हीलचेयर जैसी कई सुविधाएं भी प्रदान की गईं थी। साल की शुरुआत में लोकसभा चुनावों के दौरान, मतदाताओं ने कुछ बूथों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत की थी। इसे ध्यान में रखते हुए इस बार चुनाव आयोग ने तमाम व्यवस्थाएं की। चुनाव आयोग ने लोगों को उनके मतदान केंद्रों से अवगत कराने के लिए ‘अपने मतदान केंद्र को जानें’ जैसे मतदाता जागरूकता अभियान भी आयोजित किए।

चुनाव आयोग ने पहली बार दोनों मुंबई जिलों के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में नगर आयुक्त को नियुक्त किया। पहले, यह मुंबई शहर और मुंबई उपनगरीय के कलेक्टरों द्वारा अलग-अलग किया जाता था। बीएमसी के अधिकारी इन चुनावों में मतदान की निगरानी के प्रभारी थे, जो पिछले चुनावों में जिला प्रशासन द्वारा किया गया था।

रेस्तरां ने भी दी ‘लोकतंत्र छूट
इतना ही नहीं मुंबई के 50 से अधिक रेस्तरां ने मतदाताओं के लिए 20 प्रतिशत ‘लोकतंत्र छूट’ की घोषणा की थी। जिसका लाभ वे 20 और 21 नवंबर को भाग लेने वाले रेस्तरां में अपने कुल डाइन-इन बिल पर उठा सकते हैं।

Related Articles