लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। सरकार ने बिजली दरों के बढ़ाए जाने की चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए यह साफ कर दिया है कि बिजली दर नहीं बढ़ाई जाएंगी। नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश में बिजली की दरें न तो महंगी हुई हैं और न ही भविष्य में महंगी होंगी।
गौरतलब है कि राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने टाटा पावर के उड़ीसा मॉडल पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इस मॉडल से उत्तर प्रदेश में बिजली महंगी हो सकती है। परिषद ने कहा था कि उड़ीसा में एक किलोवाट घरेलू कनेक्शन के लिए 3941 रुपए शुल्क लिया जा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश में यह शुल्क ग्रामीण क्षेत्रों में 1172 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 1620 रुपए है। इसके साथ ही, उड़ीसा में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए उपभोक्ताओं से हर महीने 60 रुपए अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं।
उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देती है सरकार
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा, यह सरकार उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देती है। निजीकरण का कोई भी कदम उनके हितों के खिलाफ नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसी भी मॉडल को अपनाने से पहले उसकी पूरी जांच और समीक्षा करेगी। मंत्री ने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार उपभोक्ताओं की समस्याओं और हितों को लेकर प्रतिबद्ध है। निजीकरण का कोई भी निर्णय तब तक नहीं लिया जाएगा, जब तक कि वह राज्य के उपभोक्ताओं के हित में न हो। सरकार के इस आश्वासन के बाद उपभोक्ताओं को राहत मिलेगा।
निजीकरण पर परिषद ने उठाए हैं सवाल
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यह मांग की है कि निजीकरण से जुड़े किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता दी जाए। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उड़ीसा में टाटा पावर के पीपीपी मॉडल से उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा है। परिषद ने इस मॉडल को लागू करने से पहले इसकी व्यापक समीक्षा और राज्य में इसकी उपयुक्तता का विश्लेषण करने की मांग की है। परिषद ने बताया कि उड़ीसा में न केवल कनेक्शन की दरें अधिक हैं, बल्कि सिंगल फेज मीटर टेस्टिंग की फीस भी 500 रुपए तक है। जबकि उत्तर प्रदेश में यह मात्र 50 रुपए है। इसके अलावा, स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा है।
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