नई दिल्ली : जस्टिस शेखर कुमार यादव, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज तो आपको याद ही होंगे। जिन्होंने विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में कठमुल्ले वाले बयान के बाद सुर्खियां बटोरी थी। अब उनकी मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने इस मामले में आदेश दिया है।
नए सिरे से बनाए रिपोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव ने 8 दिसंबर 2024 को विश्व हिंदू परिषद के लीगल सेल के एक कार्यक्रम में विवादित टिप्पणी की थी, जिस पर सदन से कोर्टरूम तक खूब आपत्तियां उठाई गईं। इसी पर अब सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही शुरू की है। सीजेआई संजीव खन्ना ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज अरुण भंसाली को इस मामले में नए सिरे से रिपोर्ट तैयार कर पेश करने को कहा है।
इससे पहले जस्टिस यादव 17 दिसंबर 2024 को जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली कोलेजियम के समक्ष पेश हुए थे। तब भी जस्टिस शेखर ने अपने बयान को लेकर न कोई स्पष्टीकरण दिया था और न ही कोई माफी मांगी थी।
एक मामले में जजों के लिए बनाए गए थे नियम
1995 के एक पुराने मामले में सी. रविचंद्रन बनाम जस्टिस एएम भट्टाचार्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय लिया था, जिसके तहत कहा गया था कि जब मामला हाई कोर्ट के किसी जज से जुड़ा हो, तो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से उस पर सलाह लिया जाना चाहिए। तब जस्टिस भट्टाचार्य पर वित्तीय गड़बड़ियों का आऱोप था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह कहते हुए कानून बनाया कि यह दुनिया के लिए मिसाल साबित होनी चाहिए।
1997 में जब जांच पूर्ण हुई तब कहा गया कि यदि न्यायाधीशों को न्यायिक प्रक्रिया में गड़बड़ी का दोषी पाया जाता है, तो एक आंतरिक जांच कमेटी का गठन किया जाएगा। आगे सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की कार्यप्रणाली पर भी टिप्पणी की।
क्या हुआ था पिछली सुनवाई में
पांच जजों की बेंच के समक्ष अपनी सफाई देते हुए जस्टिस शेखर ने कहा कि यह मीडिया का फैलाया हुआ भ्रम है। मीडिया ने मेरे बयानों को गलत तरीके से पेश किया और उसका अर्थ बदल दिया है। इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जस्टिस शेखर को फटकार लगाई और उन्हें कहा गया कि आपका हर बयान आपके पद की मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए, ताकि लोगों का न्यायपालिका में विश्वास बना रहे।
क्या कहा था जस्टिस शेखर यादव
विहिप के कार्यक्रम में पहुंचे जस्टिस शेखर ने कहा था कि हिंदू, मुसलमानों से ये उम्मीद नहीं करते कि वो उनकी संस्कृति का पालन करें, बल्कि वो सिर्फ़ इतना चाहते हैं, उसका अनादर ना करें। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात करते हुए कहा कि ये भारत है और ये अपने बहुमत की इच्छा के अनुसार चलेगा। विश्व हिंदू परिषद् के इस कार्यक्रम में कई वकील और परिषद् के कार्यकर्ता भी शामिल थे।
कांर्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस शेखर ने कहा कि हम अपने बच्चों को जन्म से ही सहनशीलता और दया सिखाते हैं। हम उन्हें जानवरों और प्रकृति से प्यार करना सिखाते हैं। दूसरों के दर्द से हमें दुख होता है। लेकिन, आप ऐसा महसूस नहीं करते, क्यों… जब आप उनके सामने जानवरों को मारेंगे, तो आपका बच्चा सहनशीलता और दया कैसे सीखेगा?
गौरतलब है कि मामला प्रकाश में आने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नया रोस्टर जारी किया है, जो कि 16 दिसंबर से लागू है। इसमें जस्टिस शेखर के कामकाज को सीमित कर दिया गया है। जस्टिस शेखर यादव अब केवल निचली अदालत के फैसलों के खिलाफ दायर की गई प्रथम अपीलों की ही सुनवाई कर सकेंगे। इनमें भी वे सशर्त उन्हीं अपील की सुनवाई करेंगे जो 2010 के पहले दायर की गई हों।
इतना ही नहीं इस बयानबाजी के चक्कर में जस्टिस शेखर पर विपक्षी दलों ने महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसके लिए कपिल सिब्बल के नेतृत्व में 55 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस पर भी राज्यसभा में चर्चा होनी है।