नई दिल्ली: दिल्ली में जल्द ही नई सरकार का गठन होना है। खबर है कि मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 19 फरवरी को तय किया गया है। हालांकि अबतक दिल्ली के मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर नहीं लगी है। बीजेपी के अंदर मुख्यमंत्री के चयन पर विचार-विमर्श जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश यात्रा से लौटने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी मुलाकात की संभावना है।
पार्टी के निर्णय की ओर लगी है टकटकी
भारतीय जनता पार्टी की ओर से अभी तक कई निर्णय लिए जाने हैं। इन निर्णयों में उपमुख्यमंत्री और दिल्ली कैबिनेट के छह मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं। बीजेपी ने 5 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को हराकर दिल्ली में 26 साल बाद सत्ता में वापसी की, और 70 विधानसभा सीटों में से 48 सीटों पर जीत हासिल की है।
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में शपथ ग्रहण कार्यक्रम की संभावना
बीजेपी हालिया दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत के बाद एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह की योजना बना रही है, जिसे जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित करने का विचार किया जा रहा है। हालांकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद अंतिम रूप से तय किया जाएगा।
रामलीला मैदान का नाम भी चर्चा में
एक वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ता ने बताया कि पार्टी कुछ वैकल्पिक स्थलों पर भी विचार कर रही है, जिनमें रामलीला मैदान और यमुना नदी के किनारे शामिल हैं। गौरतलब है कि रामलीला मैदान का ऐतिहासिक महत्व है, यहां अतीत में कई महत्वपूर्ण रैलियां और शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुए हैं। पार्टी यमुना नदी के किनारे पर भी विचार कर रही है, जो प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि बीजेपी ने चुनावी अभियान के दौरान नदी प्रदूषण के मुद्दे पर जोर दिया था। मोदी ने आरोप लगाया था कि AAP सरकार ने हरियाणा पर नदी का पानी प्रदूषित करने का आरोप लगाया, और यह टिप्पणी की थी कि AAP “यमुना में डूबेगा।”
सुविधाजनक स्थल का किया जाएगा चयन
हालांकि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को वर्तमान में सबसे उपयुक्त स्थल माना जा रहा है, खासकर वीआईपी गेट्स के कारण जो विशिष्ट अतिथियों के लिए सुविधाजनक होंगे। समारोह में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति की उम्मीद है। बीजेपी अधिकारियों को उम्मीद है कि चुनावी अभियान में भूमिका निभाने वाले 200 से अधिक सांसदों और पूर्व सांसदों के साथ-साथ 700 से अधिक विस्तारकों की भी बड़ी संख्या में उपस्थिति होगी।
आतिशी ने उप राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा
दूसरी ओर, दिल्ली की मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी ने रविवार को AAP की हार के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया। आतिशी और गोपाल राय ही एकमात्र दो वरिष्ठ नेता थे जो इस चुनावी मुकाबले में टिके रहे। उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से कहा गया है कि आतिशी नई सरकार के गठन तक अपने पद पर बनी रहेंगी।