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राज्यसभा लाल और लोकसभा हरे रंग में क्यों रंगा है? जानें ब्रिटिश काल से चली आ रही इस व्यवस्था के बारे में

संसदीय रंग-कोडिंग की परंपरा ब्रिटिश उपनिवेशी प्रभाव से जुड़ी है। इस रंग परंपरा को देश के स्वतंत्र होने के बाद जारी रखा गया है। यहां तक कि नए संसद भवन में भी यही रंग व्यवस्था है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: अगर आप कभी भारतीय संसद में कदम रखें या किसी सत्र को ऑनलाइन देखें, तो एक चीज़ जो सबसे पहले ध्यान आकर्षित करेगी, वह है दोनों सदनों के रंग। जहाँ राज्यसभा में गहरे लाल रंग की सजावट रहती है, वहीं लोकसभा को हरे रंग से सजाया गया है। पहली नज़र में ये रंग महज़ एक सौंदर्यात्मक विकल्प प्रतीत हो सकते हैं, लेकिन इनमें गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अर्थ छिपे हैं, जो सदियों पुरानी संसदीय परंपराओं से जुड़े हुए हैं।

राज्यसभा में लाल रंग का महत्व
राज्यसभा के आसनों और कालीनों का गहरा लाल रंग कोई साधारण डिज़ाइन विकल्प नहीं है। लाल रंग सदियों से शक्ति, अधिकार और परंपरा से जुड़ा हुआ है। कई संस्कृतियों में यह रंग शाही, अभिजात्य और समारोह का प्रतीक माना जाता है और राज्यसभा के संदर्भ में यह उस उच्च सदन की बुद्धिमत्ता और गंभीरता को दर्शाता है, जिसे हमेशा गहरी सोच और विवेक के साथ कार्य करना होता है।

राज्यसभा के कार्य
राज्यसभा में अनुभवी सांसद, विशेषज्ञ और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं और इसका मुख्य कार्य लोकसभा द्वारा पारित विधेयकों की समीक्षा, संशोधन और विचार-विमर्श करना है। यहां परंपराओं का पालन करते हुए बिलों पर गंभीरता से चर्चा होती है और लाल रंग इस सदन की इस जिम्मेदारी की याद दिलाता है।

लोकसभा में हरे रंग का प्रतीकात्मक महत्व
इसके विपरीत, लोकसभा में हरा रंग है, जो जीवन, विकास और लोगों से जुड़ाव का प्रतीक है। हरा रंग नवीकरण का प्रतीक है और यह हमेशा जीवन, विकास और प्रगति का संकेत देता है। लोकसभा के लिए यह रंग विशेष रूप से उपयुक्त है, क्योंकि यह सदन सीधे तौर पर भारत के लोगों द्वारा निर्वाचित होता है। यहां जनमत की आवाज सुनी जाती है, उस पर बहस होती है और फिर नीति रूप में परिणत होती है। लोकसभा का हरा वातावरण इस सदन की ऊर्जा, बदलती हुई प्रकृति और लोकतांत्रिक भावना को दर्शाता है, जो आम जनता की चिंताओं और जरूरतों के प्रति सचेत रहता है।

संसदीय रंग योजनाओं पर ब्रिटिश प्रभाव
संसदीय रंग-कोडिंग की परंपरा ब्रिटिश उपनिवेशी प्रभाव से जुड़ी है। ब्रिटेन में हाउस ऑफ लॉर्ड्स, जो अभिजात्य का प्रतिनिधित्व करता है और उच्च सदन के रूप में कार्य करता है, उसे लाल रंग में सजाया जाता है, जबकि हाउस ऑफ कॉमन्स, जो अधिक लोकतांत्रिक और सीधे तौर पर निर्वाचित सदन है, उसमें हरा रंग होता है।

स्वतंत्रता के बाद जारी रही परंपरा
भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस परंपरा को अपनाया और तब से यह रंग योजना चली आ रही है, जहाँ राज्यसभा लाल और लोकसभा हरे रंग में सजी होती है। दिलचस्प बात यह है कि यह परंपरा भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों जैसे ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी उनके संसदों में समान रंग योजना अपनाई जाती है।

नए संसद भवन में भी वही रंग योजना
मई 2023 में नया संसद भवन उद्घाटित किया गया, जिसमें भी रंग परंपरा को नए और आधुनिक वास्तुकला के रूप में संरक्षित किया गया है। लोकसभा कक्ष में हरे रंग के कालीन और दीवारें हैं, जबकि राज्यसभा के भीतर लाल रंग के आसन, कालीन और इंटीरियर्स को बनाए रखा गया है, जो दो सदनों के बीच लंबे समय से चली आ रही भिन्नता को बनाए रखता है। इस रंग योजना की निरंतरता भारत की संसदीय धरोहर की ओर एक श्रद्धांजलि है, जबकि भवन का आधुनिक डिज़ाइन तकनीकी उन्नति और समकालीन दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित करता है।

सांस्कृतिक प्रतीकों का भी समावेश
नए भवन में अन्य सांस्कृतिक प्रतीकों का भी समावेश है। लोकसभा में मोर से प्रेरित डिज़ाइन हैं, जो जीवन्तता और समावेशिता का प्रतीक हैं, जबकि राजीव सभा में कमल के फूल के प्रतीक हैं, जो गरिमा और चिंतन का प्रतीक माने जाते हैं। केंद्रीय लाउंज में दोनों सदनों के सदस्यों के बीच संवाद के लिए एक स्थान है, जिसे बड़ के पेड़ के प्रतीकों से सजाया गया है, जो जड़ों, संवाद और लोकतंत्र के सार को दर्शाता है।

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