Ranchi (Jharkhand) : झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को गुजरात और महाराष्ट्र के स्थापना दिवस पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में दोनों राज्यों के भारत की विकास गाथा में अद्वितीय योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि में गुजरात और महाराष्ट्र का योगदान सर्वाधिक रहा है।
ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व
राजभवन में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक योगदान भारत की विकास यात्रा में हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इन दोनों राज्यों से जुड़े अनेक लोग झारखंड में भी व्यापार, उद्योग, चिकित्सा, शिक्षा और सामाजिक सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। राज्यपाल ने यह भी उल्लेख किया कि झारखंड के अपर मुख्य सचिव और एडीसी (पुलिस) भी महाराष्ट्र के मूल निवासी हैं और राज्य की सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं।
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना
राज्यपाल ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि झारखंड में निवास कर रहे गुजराती और मराठी समाज के लोगों ने न केवल अपनी समृद्ध संस्कृति को जीवित रखा है, बल्कि झारखंड की मिट्टी से भी गहरा नाता जोड़कर इसे और समृद्ध किया है। यह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रत्यक्ष और सुंदर उदाहरण है।
स्वतंत्रता संग्राम में अविस्मरणीय योगदान
संतोष कुमार गंगवार ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में गुजरात और महाराष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों राज्यों के लोगों ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अनगिनत आंदोलनों और संघर्षों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इन राज्यों की धरती अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध सत्य और अहिंसा के मार्ग पर संघर्ष की प्रेरणादायक कहानियों से भरी पड़ी है और देश की स्वतंत्रता के लिए दिया गया उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
ऐतिहासिक आंदोलनों के केंद्र
राज्यपाल ने नमक सत्याग्रह, बारडोली सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों का उल्लेख किया, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और अन्य महान स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में हुए थे। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध दांडी मार्च से शुरू हुआ नमक सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ, जिसमें पूरे देश के लोगों ने व्यापक रूप से भाग लिया और यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक विशाल जन आंदोलन बन गया। इसी प्रकार, सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में हुआ बारडोली सत्याग्रह और 1942 में आरंभ हुआ भारत छोड़ो आंदोलन भी ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करने में महत्वपूर्ण साबित हुए और इनमें गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों की बड़ी भागीदारी रही।
वीरों और समाज सुधारकों की भूमि
राज्यपाल ने महाराष्ट्र को छत्रपति शिवाजी महाराज की वीर भूमि बताया, जिनकी वीरता और स्वाभिमान की गाथाएं आज भी लोगों में ऊर्जा का संचार करती हैं। उन्होंने कहा कि इस राज्य ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले और विनायक दामोदर सावरकर जैसे महान नेता दिए, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा प्रदान की। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और महात्मा ज्योतिराव फुले जैसे महान समाज सुधारक भी दिए, जिन्होंने सामाजिक अन्याय के विरुद्ध अथक संघर्ष किया। राज्यपाल ने मुंबई जैसे वैश्विक शहर का भी उल्लेख किया, जिसने भारत को एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
गुजरात : व्यापार, उद्योग और संस्कृति का संगम
संतोष कुमार गंगवार ने गुजरात को देश की व्यापारिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक उन्नति का एक मजबूत स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मभूमि गुजरात ने हमें आत्मनिर्भरता, एकता और सामाजिक समरसता का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया है। आज गुजरात न केवल औद्योगिक विकास में अग्रणी है, बल्कि पर्यटन, कृषि और संस्कृति के क्षेत्र में भी एक मिसाल कायम कर रहा है। उन्होंने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित हुए “गुजरात मॉडल” को देश के अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताया। इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्यपाल ने न केवल गुजरात और महाराष्ट्र के स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दीं, बल्कि भारत की विकास यात्रा में उनके अमूल्य योगदान को भी रेखांकित किया।